औषधीय, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा द्रोपदीमाला फूल उत्तराखंड में खिलने लगा है. महाभारत में द्रोपदी के गजरे पर सजने वाला और मां सीता का बेहद ख़ास यह फूल दुनिया भर में फॉक्सटेल के नाम से जाना जाता है. फॉक्सटेल असम व अरुणाचल का राज्य पुष्प भी है.
(Foxtail Dropdimala Seetaveni Flower Uttarakhand)
पिछले कुछ सालों में वन अनुसंधान केंद्र द्वारा इसे नैनीताल जिले में उगाने के सफ़ल प्रयास किये गये थे. हाल ही में उत्तराकाशी जिले के मांगली बरसाली गांव में इसके खिले हुये फूल देखे गये. मांगली गांव वालों का कहना है कि उनके इलाके में यह फूल पिछले दस सालों से खिल रहा है. इसके धार्मिक महत्व को देखते हुए उत्तराखंड का वन महकमा इसे सहेजने के प्रयास में तेजी लाया है.
अपने औषधीय गुणों के कारण फॉक्सटेल की बाज़ार में इस कदर मांग है कि अरुणाचल प्रदेश में इसकी तस्करी तक होती है. वन अनुसंधान केंद्र के मुताबिक अस्थमा, किडनी स्टोन, गठिया रोड व घाव भरने में द्रोपदीमाला को दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
द्रोपदीमाला नाम का यह फूल असम में बेहद लोकप्रिय है. असम ने इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है. शुभ अवसरों पर किये जाने वाले बीहू नृत्य के समय असम की महिलायें आज भी इसे द्रोपदीमाला को अपने बालों में सजाती हैं. पंश्चिम बंगाल व आसाम में इसे कुप्पु फूल के नाम से जाना जाता है.
(Foxtail Dropdimala Seetaveni Flower Uttarakhand)
महाराष्ट्र में इसे रामायण से जोड़ कर देखा जाता है इसीकारण इसका वहां नाम सीतावेणी है. महाभारत के अनुसार द्रोपदी माला के तौर पर इन फूलों को इस्तेमाल करती थीं. इसी वजह से इसे द्रोपदीमाला कहा गया है.
द्रोपदीमाला आर्किड प्रजाति का एक फूल है. आर्किड जमीन और पेड़ दोनों पर होता है. आमतौर पर 1500 मीटर ऊंचाई पर द्रोपदीमाला बांज व अन्य पेड़ों पर नजर आता है. धार्मिक व औषधीय महत्व से अंजान होने की वजह से लोग इसके संरक्षण का प्रयास नहीं करते हैं. उत्तराखंड में नैनीताल और गौरीगंगा इलाके में फॉक्सटेल के फूल खूब देखे जा सकते हैं.
(Foxtail Dropdimala Seetaveni Flower Uttarakhand)
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