कथा

जब गधे ने कुत्ते, बिल्ली और मुर्गे के साथ मिलकर संगीत साधा- लोककथा

कुमाऊं के नीचे इलाकों में एक किसान के घर में गधा रहता था. किसान गधे से खूब काम लिया करता गधे की हिम्मत जवाब देने को होती पर उसका भी पेट था लगा रहता. एक दिन गधा जब तालाब में पानी पी रहा था तो उसने खुद को देखा. गधे ने अपने चेहरे को देख इतराना शुरू किया वह खुद को बेहद खुबसूरत पाने लगा तब उसने अपने गले को काम दिया.
(Folklore of Kumaon Uttarakhand)

गधे के गले से बेहद मनहूस आवाज निकली पर वह तो अपने रूप में खोया था. गधे को लगा जैसे उसके गले में किसी देवी का वास है. उसने और ऊंचा गाना शुरू किया रूप के भान के मस्त गधे को लगा ईश्वर ने दुनिया में सबसे अच्छे सुर उसे ही दिये हैं. गधे ने तय किया कि अब वह किसान की गुलामी नहीं करेगा अब वह संगीतकार बनेगा और दुनिया को अपने संगीत का शुकून देगा. गधे ने जंगल के रास्ते होते हुए शहर की ओर भागना तय किया.

रास्ते में गधे को एक रोता हुआ कुत्ता मिला. कुत्ते ने कहा- एफ मेरा मालिक कितना निर्दयी है. दो वक्त ठीक से खाने तक नहीं देता. गधा तो अपनी ही धुन में था उसने कहा- अरे भाई तुम्हारी आवाज़ में क्या लय है आओ मेरे साथ शहर की ओर चलों मैं शहर का सबसे बड़ा संगीतकार बनने जा रहा हूं. दोनों साथ हो लिये.
(Folklore of Kumaon Uttarakhand)

अभी कुछ आगे ही बढ़े थे दोनों को रास्ते में एक दुःखयारी बिल्ली मिल गयी. बिल्ली भी अपने मालिक के व्यवहार से हारी हुई थी. दुःख में डुबी बिल्ली के स्वर सुनकर गधे ने कहा- कितनी मधुर है तुम्हारी आवाज़, क्या दुनिया में इससे कोमल कुछ हो सकता है. चलो हमारे साथ हम शहर जा रहे हैं दुनिया में संगीत के मायने बताने जा रहे हैं. तीनों जंगल से शहर की ओर जाते रास्ते पर बढ़ते चले गये.

अभी शहर महज कुछ दूरी पर था. तीनों को एक मुर्गा दिखा. मुर्गे का मालिक उसे खिलाता तो खूब था पर मुर्गा जानता था उससे उसकी मोटी कीमत पर बेचने के लिये खिलाया जाता है. ऐसे मुर्गे से असहाय कौन हो सकता है. तीनों ने मुर्गे को देखा मुर्गा बस एक ही स्वर बोल सका. गधा बोला – अरे कोई इतना मीठा कैसे गा सकता है. भाई हम शहर जा रहे हैं अब दुनिया में केवल हमारा संगीत सुना जाएगा.  
(Folklore of Kumaon Uttarakhand)

अब चारों की चौकड़ी चल पड़ी शहर की ओर. शहर में जाकर उन्होंने एक घर देखा जिसकी खिड़की से रोशनी चमक रही थी. इस घर में दो चोर घुसे थे. चारों ने घर की खिड़की से भीतर झाँका. सबसे नीचे गधे ने गर्दन टिकाई उसके ऊपर कुत्ते ने रखी अपनी गर्जन गधे के ऊपर अब बारी थी बिल्ली की वह चढ़ गयी कुत्ते के सिर पर फिर मुर्गे ने मारी छलांग बैठ गया बिल्ली के सिर पर. गधे, कुत्ते, बिल्ली और मुर्गे ने ऐसा अलाप छेड़ा.

ऐसी भयानक बुरी आवाज चोरों ने पहले कभी न सुनी थी. दोनों चोरों का ध्यान खिड़की की ओर चला गया. इतना विशाल और भयावह जीव तो उन्होंने पहले कभी न देखा था. चोरों ने सारा सामान वहीं छोड़ा और भाग गये. गधे ने कहा- लगता है इस घर के लोगों को अच्छे संगीत की समझ नहीं है. चारों घर के भीतर घुसे और उन्होंने खुला सोना और चांदी रख लिया शहर में अब उनके दिन फिरने वाले थे.
(Folklore of Kumaon Uttarakhand)

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

4 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

4 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

5 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

6 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

6 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

2 weeks ago