इतिहास

क्या सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु देहरादून में हुई

कई सारे लोग आज भी यह मानते हैं कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु 1945 की विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी. भारत के आजाद होने के बाद कई दशकों तक सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु पर बात होती रही. भारत में ऐसे बहुत से लोग थे जिन्होंने माना कि सुभाष चन्द्र बोस भेष बदल कर लम्बे समय तक भारत में ही रहे.
(Does Subhash Chandra Bose Died in Dehradun)

स्वामी शारदानंद, स्वामी ज्योतिर्देव और गुमनामी बाबा तीन ऐसे नाम हैं जिन्हें सुभाष चन्द्र बोस के साथ जोड़ा गया. इन तीनों के ही विषय में दावा किया गया कि वह सुभाष चन्द्र बोस हैं. इन दावों की पड़ताल होने पर पाया गया सुभाष चन्द्र बोस होने दावे स्पष्ट नहीं हैं.

1961 में बंगाल के एक आश्रम में रहने वाले साधु शारदानंद पर जांच शुरु हुई. महँगी सिगरेट पीने वाले और फर्राटेदार अंग्रेजी और बांग्ला बोल सकने वाले इस साधु के विषय में यह अफ़वाह थी कि वह सुभाष चन्द्र बोस है. सुभाष चन्द्र बोस के कुछ साथियों ने तक के बयान आने लगे कि सुभाष चन्द्र बोस शारदानंद के वेश में शालिमारी आश्रम में रह रहे हैं. इस संबंध में जो रिपोर्ट जारी हुई उसमें कहा गया कि स्वामी शारदानन्द और सुभाष चन्द्र बोस दो अलग-अलग व्यक्ति हैं.

स्वामी शारदानन्द स्वयं इस बात को कहते थे कि सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई. यह सरकार का दायित्व है कि वह असल बात का पता करे. स्वामी शारदानन्द से स्वयं के सुभाष चन्द्र बोस होने की बात को हमेशा नकारा.
(Does Subhash Chandra Bose Died in Dehradun)

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स्वामी शारदानन्द ने सरकार और अन्य लोगों के दबाव में आकर शालिमारी आश्रम छोड़ दिया और उत्तराखंड का रुख किया. अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार स्वामी शारदानन्द आश्रम छोड़ने के बाद बाद वह चुपचाप ऊखीमठ पहुंचे और विकट साधना की. इसके बाद देहरादून, देवधर और अमर कंटक में रहे. 1973 की शुरुआत में वह देहरादून के डालनवाला, गुरु तेगबहादुर रोड और फिर जाखन में रहे और अंतत: राजपुर पटियाला हाऊस में आ बसे.

14 अप्रैल 1977 को जब स्वामी शारदानन्द की मृत्यु हुई एकबार फिर विवाद हो गया. स्वामी शारदानन्द को सुभाष चन्द्र बोस मानने वाले और उन्हें केवल स्वामी शारदानंद मानने वाले उनके शिष्यों के बीच हुये इस विवाद को आजाद हिंद फौज में रहे कर्नल प्रीतम सिंह ने समाप्त किया. पुलिस ने स्वामी शारदानन्द के पार्थिव शरीर को सम्मान के साथ विदाई दी थी. पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच उनका पार्थिव शरीर देहरादून से ऋषिकेश लायी. स्वामी शारदानन्द का अंतिम संस्कार मायाकुंड ऋषिकेश में किया गया.
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