Featured

कलाबाज देव आनंद नैनीताल आये थे 1975 में

हिन्दी सिनेमा के सदाबहार नायक माने जाने वाले देव आनंद ने प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचने के बाद भी अपनी सादगी और नफासत में ज़रा भी कमी नहीं आने दी थी. फिल्मे बनाने को लेकर जैसा उत्साह उनके भीतर था शायद वैसा किसी अन्य फिल्म-निर्माता में नज़र नहीं आ सकता. (Dev Anand in Nainital 1975)

वे एक मॉडर्न इंसान थे और फिल्मों में अपनी इस सोच को ढालने के हिमायती भी. उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से जीनत अमान और टीना मुनीम जैसी अभिनेत्रियों को काम करने के पहले मौके दिए. 1977 में उनकी एक फिल्म आई थी कलाबाज़. इस फिल्म में उनकी हीरोइन थीं उनकी फेवरेट जीनत अमान जबकि असरानी, सुजीत कुमार, देव कुमार और प्रदीप कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई थीं. (Dev Anand in Nainital 1975)

कलाबाज़ की शूटिंग के लिए देव साहब अपनी यूनिट को लेकर साल 1975 में नैनीताल आये थे. इस सिलसिले में नैनीताल में करीब तीन सप्ताह तक रहे. उनके रहने की व्यवस्था शैले कॉटेज में की गयी थी. शैले कॉटेज नैनीताल क्लब परिसर का महत्वपूर्ण हिस्सा है. देव साहब के साथ शूटिंग में हिस्सा लेने जीनत अमान और अन्य कलाकार भी पहुंचे थे.

कलाबाज़ में देव आनंद और जीनत अमान ने सर्कस के ट्रेपीज आर्टिस्ट्स का रोल निभाया था और फिल्म में कथानक के लिहाज़ से कुछ ऐसी लोकेशन चाहिए थीं जहाँ कलाकारों को खतरों से खेलता हुआ दिखाया जा सके. रॉक क्लाइम्बिंग के प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला नैनीताल का बारापत्थर का इलाका इस के लिए मुफीद पाया गया और ज्यादातर शूटिंग यहीं की गयी.

अन्य महत्वपूर्ण लोकेशंस में बोट हाउस क्लब, नारायण नगर, मल्लीताल का फ्लैट्स और हनुमानगढ़ी का मंदिर भी थे. इन जगहों पर एकाधिक गानों की शूटिंग भी हुई.

समूचे भारत की तरह उन दिनों नैनीताल में भी देव आनंद का क्रेज था और उन्हें देखने, मिलने वालों का तांता लगा रहता था. उस समय के लोग बताते हैं कि लोगों से घुलने-मिलने के शौक़ीन देव साहब किसी को भी निराश नहीं करते थे. कॉलेज के लड़के-लड़कियों से लेकर हॉस्टलों में रहने वाले छात्र और गृहिणियों से लेकर दफ्तरों में काम करने वाले तमाम लोगों के पास देवानंद के उस नैनीताल प्रवास की अनेक दास्तानें हैं.

नैनीताल से देव साहब का एक रिश्ता यह भी है कि उनकी बेटी देविना ने यहीं की अदालत में कोर्ट मैरिज की थी अलबत्ता उस मौके पर देव साहब नैनीताल नहीं आ सके थे. (Dev Anand in Nainital 1975)

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

18 hours ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

19 hours ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

21 hours ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

1 day ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

3 days ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

3 days ago