दारमा घाटी की ख़ूबसूरती की व्याख्या शब्दों में कर पाना बहुत कठिन है. इन तस्वीरों को देखकर आप महसूस कर सकते है कि वहाँ पहुँच कर प्रकृति के इन रंगों को अनुभव करने से मन को कितना सुकून मिलता होगा. (Travelogue by Sumit Pant)
दुग्तू गाँव से पंचाचूली बेस कैंप और जीरो प्वाइंट तक का ट्रैक छोटा एवं आसान किन्तु असीमित सुन्दरता से भरा हुआ है. यहाँ की जनजातियों का सहज व्यवहार, लोककला, संस्कृति व खानपान का अनुभव यात्रा में चार चाँद लगा देता है. दर, नांगलिंग, सेला, चल, बालिंग, दुग्तु, सोन, दांतु, बोन, फिलम, तिदांग इत्यादि गाँवों की सुन्दरता एवं स्थानीय लोगों की जीवनशैली इस घाटी के बारे में और अधिक जानने की उत्सुकता पैदा करती है.
धौलीगंगा इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नदी है. प्राचीनकाल में इसे दारमा नदी के नाम से भी जाना जाता था. यह नदी लल्लावे नामक हिमनद से निकलती है. पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के ग्लेशियरों से निकलने वाली न्यावला नदी दुग्तू में धौलीगंगा से आकर मिलती है.
इस घाटी में जीव जन्तुओं एवं वनस्पतियों की भी विविध प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं. हिमालयन मोनाल एवं कई अन्य पक्षी आपको यहाँ देखने को मिलेंगे, साथ ही भोजपत्र के जंगलों से लेकर गुलाबी, बैंगनी एवं सफ़ेद रंगत लिए बुराँश के जंगल.
और अधिक ऊँचाई की ओर बढ़ने पर हरे भरे बुग्यालों में खिले अलग-अलग रंगों के फूलों की प्रजातियाँ भी देखने को मिल जाती है. पंचाचूली के सबसे अद्भुत एवं भव्य दर्शन यहीं से होते है.
मान्यता है कि स्वर्गारोहण के लिए हिमालय की यात्रा के दौरान पांडवों ने इसी पर्वत पर अपना अंतिम भोजन बनाया था. इसके पांच उच्चतम शिखरों पर पांचों पांडवों ने पांच चूल्ही अर्थात छोटे चूल्हे बनाये थे. इसलिए यह स्थान पंचचूली कहलाया.
हिमालय घूमने के शौकीन घुमक्कड़ों को चाहिए कि वे यात्रा के दौरान इस जगह की स्वच्छता, निमर्लता एवं पवित्रता को हर हाल बनाए रखे.
मूल रूप से अल्मोड़ा के रहने वाले सुमित पंत बंगलौर में बैंककर्मी हैं. हिमालय के सतत यात्री सुमित बेहतरीन फोटोग्राफर भी हैं.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
.
Support Kafal Tree
.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
हरि दत्त कापड़ी का जन्म पिथौरागढ़ के मुवानी कस्बे के पास चिड़ियाखान (भंडारी गांव) में…
तेरा इश्क मैं कैसे छोड़ दूँ? मेरे उम्र भर की तलाश है... ठाकुर देव सिंह…
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली कौसानी,आजादी आंदोलन का गवाह रहा कौसानी,…
मशहूर पर्यावरणविद और इतिहासकार प्रोफ़ेसर शेखर पाठक की यह टिप्पणी डाउन टू अर्थ पत्रिका के…
इन दिनों उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कौसानी की शांत वादियां शराब की सरकारी दुकान खोलने…
कहानी शुरू होती है बहुत पुराने जमाने से, जब रुद्र राउत मल्ली खिमसारी का थोकदार…
View Comments
Adbhut, behad khoobsoorat!
अच्छा संदेश दिया है कि प्रकृति की सुंदरता को प्रदूषण से बचाएं, अति उत्तम 👌👌, कृपया प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ना करें। धन्यवाद
अच्छा संदेश दिया है कि प्रकृति की सुंदरता को प्रदूषण से बचाएं, अति उत्तम 👌👌, कृपया प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ना करें। धन्यवाद।
अच्छा संदेश दिया है कि प्रकृति की सुंदरता को प्रदूषण से बचाएं, अति उत्तम , कृपया प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ना करें। धन्यवाद।