Uncategorized

हम फिर से उसी थकान से भर जाते हैं

किसी को जानो तो
बस इतना ही जानना
कि कोई और भी दिखे तो उसके होने का भ्रम होता रहे

उस गांव में दूर तक खेत फैले थे. उनके बीच कुछ रास्ते थे. कुछ सड़कें थीं. कुछ ऊंची इमारतें थीं. मौसम बिछड़ जाने का था. मौसम ने फूलों वाली प्रिंट के हल्के कुर्ते पर पतला स्वेटर डाल रखा था.

मैं एक ही ख़याल से भरा हुआ मौसम की हथेली में अपनी हथेली रखे हुए चलता रहा. हमारे पास रास्ते पर कितनी दूर जाना है? ये सवाल नहीं था. हमारे पास सवाल था कि अब कितना समय बचा है. इस बचे समय में जितनी दूर चला जा सके, चलो.

अचानक नहीं वरन धीरे-धीरे समय समाप्त हुआ. जैसे अजगर की कुंडली में फंसे जीव का दिल धड़कना बन्द करता है.

इन्हीं दिनों की तन्हाई में व्हाट्स एप के कॉन्टेक्ट्स देखने लगा. एक गोरा दिखा. अंगुली ने उसकी डीपी को छुआ. बड़ी होकर भी तस्वीर एक अजाने गोरे की ही रही. मैं शिथिल हतप्रभ सोचने लगा कि मैं कब इस आदमी से मिला. क्योंकर इसका नम्बर सेव किया.

फिर याद आया कि उसने अपना नम्बर बदल लिया है.

आज सुबह इंस्टा से कॉन्टेक्ट्स सिंक्रोनाइज किये तो एक गोरी दिखी. इस बार सोचना न पड़ा. मैं मुस्कुरा सकता था कि ये उसका दूसरा नम्बर होगा जो उसने छोड़ दिया होगा.

उस गोरी के इंस्टा की एक तस्वीर पर लिखा- “ये सुंदर है” फिर लगा कि उसे क्या समझ आएगा. इसलिए मिटा दिया. उन्हीं तस्वीरों के बीच एक कसाई की तस्वीर दिखी. मुझे याद आया कि एक रोज़ मैं लिख रहा था “अपनी रूह की खाल उतरवाने के लिए मैंने कितनी जगहों की यात्रा की, कितने ही कसाइयों से अर्ज़ की मगर कोई न माना. मुझे क्या पता था कि मैं मोहब्बत में पड़ जाऊं तो तुम तुरन्त मेरा ये काम कर दोगे”

तुमको पता है केसी? एक बहुत पुराने हादसे की थकान कभी छीजती नहीं. वह हादसा जब भी याद आता है, हम फिर से उसी थकान से भर जाते हैं.

कल अपराजिता पर जो नीले फूल खिले थे, वे आज बन्द पड़े हैं. जाने क्या बात है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

11 hours ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

12 hours ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

14 hours ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

1 day ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

2 days ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

2 days ago