गायत्री आर्य

नींद में भी दूध पीने की कला में बच्चे माहिर होते हैं

4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 47 (Column by Gayatree arya 47)
पिछली किस्त का लिंक: सिर्फ ‘नर’ योनि में जन्म लेने भर से लड़कों के पास ज्यादा मौके हैं

इस दुनिया में अच्छा डॉक्टर, वैज्ञानिक, कलाकार, इंजीनियर, प्रबंधक या कुछ भी बनना सच में बेहद मुश्किल है मेरी जान. लेकिन इन सबसे ज्यादा मुश्किल है ‘अच्छा इंसान’ बनना और बने रहना. इस दुनिया की असंख्य मांओं ने असंख्य हुनरमंद लोगों को जन्म दिया है, जिनके कारण हम लोग बेहद सुविधाजनक जीवन जी रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद भी ज्यादातर लोग सुखी नहीं हैं मेरे बच्चे. इसका कारण यही है, कि इस दुनिया में एक से एक बड़े वैज्ञानिक, चिकित्सक, तकनीशियन, अध्यापक, प्रबंधक, कलाकार, चित्रकार, लेखक, और पता नहीं क्या-क्या हैं, यह दुनिया हुनरमंद लोगों से तो भरी पड़ी है, लेकिन इंसानों का घोर अकाल है.

यदि किसी प्रतिष्ठित पेशेवर बनने से ज्यादा असान, अच्छा इंसान बनना होता, तो जाहिर है कि अच्छे इंसानों की संख्या ज्यादा होती. लेकिन चूंकि अच्छे इंसान की बजाए, अच्छा पेशेवर बनना कहीं ज्यादा आसान है, इसलिए अच्छे पेशेवर लोग दुनिया में भरे पड़े हैं, लेकिन अच्छे इंसान नहीं. मेरे बच्चे, पेशेवर होना कतई बुरा नहीं है. लेकिन हमें एक अच्छे पेशेवर होने के साथ-साथ अच्छे इंसान भी तो होना चाहिए न. पर हो ये रहा है कि लोग सिर्फ पेशेवर बनके, ज्यादा से ज्यादा सुविधा और पैसा कमाना चाहते हैं किसी भी कीमत पर. ‘इंसानियत’ जैसी कोई भी चीज उनके लिए बेकार और उनकी कमाई पर अंकुश लगाने वाली चीज भर है. इंसानियत को अपना उसूल बनाकर भी पेशेवर बना जा सकता है. पर इन दोनों को एक साथ साधना, सच में बड़ा मुश्किल है. क्या तुम ये मुश्किल काम करने की चुनौती स्वीकार करोगे रंग?

लेकिन ज्यादा सुविधाओं से कभी भी ज्यादा सुख नहीं आता. तुम बड़े होकर लोगों से पूछना कि यदि उन्हें ‘सुविधाजनक’ और ‘सुखमय’ जीवन के बीच विकल्प दिया जाए, तो वे किसे चुनना चाहेंगे. मेरा मानना है कि ज्यादातर लोग ‘सुविधाजनक’ जीवन चाहेंगे, क्योंकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि सुविधाओं से ही सुख आता है. पर सुख एक अलग ही चीज है, जो सुविधाओं से नहीं आता. बड़े होकर तुम देखोगे कि आज के समय में लोग पहले से कहीं ज्यादा सुविधाओं में जी रहे हैं, लेकिन वे सुखी नहीं हैं. Column by Gayatree arya 47

तुम नींद में कुनमुनाने लगे हो, लगता है दूध ढूँढ रहे हो. तुम्हें नींद में भी दूध पीने की कला कैसे आती है भला? गहरी नींद में धीरे-धीरे तुम्हें अपनी छाती से दूध गटकते देखना कितना अलौकिक है, उफ्फ क्या ही कहूं. जब तुम्हें भूख नहीं होती, तो गोद में होने के बावजूद तुम दूध नहीं ढूंढ़ते, लेकिन जब भूखे होते हो तो सोते हुए भी अपना मुंह खोले दूध ढूँढते रहते हो. कितना-कितना ज्यादा अच्छा लगता है तुम्हें ऐसे देखने में, क्या ही कहा जाए. बताओ तो जरा, नींद में भी पेट की टंकी भरने का ख्याल तुम्हें आखिर आता कैसे है मेरे नन्हे जादूगर?

तुम दिन में कभी तो गहरी नींद सो लिया करो मेरे बच्चे. एक-दो घंटे की नींद में भी कई बार जग जाते हो तुम, इस कारण तुम्हारे सोते हुए भी मैं तसल्ली से अपना पढ़ने-लिखने का काम नहीं कर पाती. कभी-कभी तुम्हारी कच्ची नींद पर मैं थोड़ा झुंझला भी जाती हूं, क्योंकि तुम्हें दोबारा सुलाना कोई आसान काम नहीं. यूं तो तुम्हें सुलाना ही बड़ा मुश्किल है, नींद आने के बावजूद तुम दूसरे बच्चों की तरह दूध पीते-पीते नहीं सो जाते. थोड़ा रोते हो, बिना कारण जगे रहते हो, चिड़चिड़ाते रहते हो, तब कहीं जाकर सोते हो. Column by Gayatree arya 47

तुम सिर्फ एक ही सूरत में चैन से सोते हो, नींद आने पर तुम्हें सुलाने के बजाए तुम्हें खिलाया जाए, शैतानी की जाए तुम्हारे साथ, ताकि तुम्हारी नींद इकट्ठी हो जाए, फिर तो तुम पके आम सा गिरकर एकदम से लुढ़क जाते हो. इस वक्त तुम दायीं करवट लेकर सोए हुए हो मेरे पास. करवट तो तुम बिल्कुल बड़ों की तरह लेते हो. पता नहीं तुम कब जाग जाओ, उससे पहले तुम्हे दूध पिला के कुछ और देर सोये रखने की कोशिश करती हूँ. कभी-कभी सोचती हूँ तुम्हारे साथ मेरी बातें क्या कभी खत्म हो पाएंगी?

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

उत्तर प्रदेश के बागपत से ताल्लुक रखने वाली गायत्री आर्य की आधा दर्जन किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. विभिन्न अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं में महिला मुद्दों पर लगातार लिखने वाली गायत्री साहित्य कला परिषद, दिल्ली द्वारा मोहन राकेश सम्मान से सम्मानित एवं हिंदी अकादमी, दिल्ली से कविता व कहानियों के लिए पुरस्कृत हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

22 hours ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

1 day ago

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

5 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

1 week ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago