उत्तराखंड में आज बड़ी धूम से लोकपर्व हरेला मनाया गया. हरेला पर्व की के दिन जहां दिन भर जगह-जगह वृक्षारोपण के कार्यक्रम हुये वहीं सोर घाटी में हरेला सोसायटी के युवा पारम्परिक अंदाज में लोकपर्व मानते हुये दिखे.
(Celebration of Harela in Uttarakhand)
सोर घाटी के सबसे पुराने त्यौहारों में एक हरेला है. इस दिन यहां पेड़ रोपने की एक ख़ास परम्परा वर्षों से चली आ रही है. सोर घाटी में चौमास में होने वाले हरेला पर्व के दिन प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपने खेतों की मेड़ों पर पेड़ों की टहनियां बोई जाती है.
माना जाता है कि आज के दिन रोपी गयी टहनियां सूखती नहीं हैं. खेतों की मेड़ों में लगाये गये इन पेड़ों में गढ़ मेल, दाड़िम, खड़ीक, रीठे आदि होते थे. रोपे गये पेड़ गांव के लोगों की जरूरतें पूरी करते थे जैसे- चारा के लिये पत्तियां, कृषि उपरकण की लकड़ी, घास का लूटा बनाना आदि.
अब केवल किताबों और लेखों में लिखी जाने वाली इस परम्परा को हरेला सोसायटी ने स्थानीय ग्रामीणों, स्कूली बच्चों एवं आम जनमानस के साथ मिलकर जमीनी पर लाने की कोशिश की. कार्यक्रम के दौरान यक्षवती जलधारा (रई गाड़) के समीप के कुछ खेतों की मेड़ पर नवीन कापड़ी, देवलाल गाँव के ग्रामीणों और इको टास्क फोर्स के सहयोग से गढ़ मेल, चिनार, शहतूत की कटिंग एवं दाड़िम, खड़ीक और रीठे के पौधे इस उम्मीद से लगाए गए कि आने वाले समय में ये सभी भू कटाव को रोकेंगे और इनके द्वारा ग्रामीणों के जानवरों को चारापत्ती मिल सकेगी.
(Celebration of Harela in Uttarakhand)
हरेला सोसायटी द्वारा आज जनरल बी.सी जोशी आर्मी पब्लिक स्कूल में 3 बड़े बांज वृक्षों का रोपण भी किया गया. तीनों पेड़ हरेला सोसायटी के ‘अडॉप्ट अ प्लांट’ प्रोजेक्टके तहत वर्ष 2017 में दीक्षा चंद, रुपिन शाही (महर्षि विद्या मंदिर स्कूल) और भार्गव पुनेड़ा द्वारा एक छोटे से पौधे के रूप में गोद लिए गए थे. आज इन पौधों का आकार 10 से 15 फीट ऊंचे पेड़ों का हो चुका है. इन पेड़ों को हरेला सोसायटी द्वारा इको टास्क फोर्स और एपीएस स्कूल के सहयोग से स्कूल के कैंपस में लगा दिया गया. यहाँ कम से कम फिर से एक वर्ष तक इन अभी पेड़ों की गहन निगरानी एवं इन पर शोध कार्य किया जाएगा.
हरेला सोसायटी का मानना है कि ऐसा करके ही पेड़ों की सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है और सफल पौधारोपण किया जा सकता है. हरेला सोसायटी द्वरा अभी तक 150 ऐसे पौधों को स्थानीय लोगों को गोद दिलवा चुकी है. इस कार्यक्रम के दौरान 50 नए पौधों को 5 वर्षों के लिए स्थानीय लोगों एवं प्रतिभागियों द्वारा गोद लिया गया.
कार्यक्रम में जनरल बी.सी जोशी आर्मी पब्लिक स्कूल के कर्नल बी.एस सती, कैप्टन ए. एस माथुर, कार्यवाहक प्रधानाचार्य रवीन्द्र सिंह सौन, इको टास्क फोर्स कुमाऊं और हरेला सोसायटी के 25 स्वयंसेवकों ने प्रतिभाग किया. इस पूरे कार्यक्र्म मे पहली मंज़िल कोचिंग संस्थान और पिथौरागढ़ जिले के उद्यान विभाग का विशेष सहयोग रहा.
(Celebration of Harela in Uttarakhand)
कार्यक्रम से जुड़ी कुछ तस्वीरें देखिये: (सभी तस्वीरें हरेला सोसायटी 2021)
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…