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सर्दियों का बिनसर

सर्दियों की ऋतु हो और आप बिनसर में हों तो क्या कहने! बिनसर की शामों की सोने सी रोशनी, रात के आसमान…

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मेहमान बनने का शौक

उसे जान-पहचान में मेहमान बनने का बहुत शौक था. वह इतना भी जरूरी नहीं समझता था कि जान-पहचान बहुत गहरी…

6 years ago

हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 56

हल्द्वानी के बरेली रोड में आज भी अब्दुल्ला बिल्डिंग विख्यात है. इसके बारे में माजिद साहब बताते हैं कि उनका…

6 years ago

कहो देबी, कथा कहो – 20

निर्माण के दिन वर्ष भर बाद 1970 में ‘किसान भारती’ मासिक के संपादक रमेश दत्त शर्मा के विश्वविद्यालय छोड़ देने…

6 years ago

मुनस्यारी से ‘बूंद’ की आवाज और धुन

पिछले एक साल से मुनस्यारी के तीन लड़के नवनीत, नवल और लवराज 'बूंद' गीत पर मेहनत कर रहे हैं. इस…

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कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 54

  पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम…

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धारचूला की रं महोत्सव 2018 से कुछ और तस्वीरें

धारचूला में हुए रं महोत्सव 2018 की कुछ तस्वीरें आपने कुछ दिन पहले देखी थीं. आज देखिये इस समारोह की…

6 years ago

प्रमोद कौंसवाल की कविता

वो अपनी ही कविता के एक लुटेपिटे हैरान से थकान से चूर खून और गर्द से भरे चेहरे वाले आदमी…

6 years ago

रात गहराने पर वह बास्केटबॉल लेकर सो जाता था

कुछ खिलाड़ी सचमुच अद्वितीय होते हैं, वे अपनी व्यक्तिगत शैली का इतना प्रभाव छोड़ते हैं कि खेल उनके आने के…

6 years ago

एक कहानी ये भी – मीनाकुमारी और धर्मेन्द्र

बहुत से लोग आज इस बात को यक़ीन से कहते हैं कि धर्मेन्द्र ने अपना करियर बनाने के लिए मीनाकुमारी…

6 years ago