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उत्तराखंड ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा ‘दाल-भात’

दाल-भात का उत्तराखंड ग्रामीण संस्कृति में पहला स्थान है. नामकरण, जनेव, शादी, बरसी सभी में दाल-भात मुख्य भोजन होता था.…

6 years ago

अल्मोड़ा में जन्मे थे मलेरिया मच्छर की खोज करने वाले सर रोनाल्ड रॉस

एक समय था जब दुनिया भर में मलेरिया जानलेवा बीमारी मानी जाती थी और असंख्य लोग इसकी चपेट में आकर…

6 years ago

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब के बारह महान शेर

उर्दू से सबसे सफल शायर सब मानते हैं कि उर्दू एक बेहद मीठी ज़बान है. इस भाषा में लिखी गयी…

6 years ago

“रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों” – उत्तराखण्ड लोकसंगीत की विलुप्त वैरागी परम्परा

बुजुर्ग लोग बताते हैं कि आज से कोई पांच-छह दशक पूर्व तक गुरु गोरखनाथ की परंपरा के नाथ पंथी योगी…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 107

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

मैं हल्द्वानी हूँ – एक फिल्म

हल्द्वानी में पहले हल्दू के पेड़ बहुतायत में हुआ करते थे इसलिए उसे हल्द्वानी कहा जाने लगा. वर्तमान हल्द्वानी के…

6 years ago

जिसने मेरी रोटी छीनी उसे रोटियों के समुद्र में फेंकना

देना! -  नवीन सागर  जिसने मेरा घर जलाया उसे इतना बड़ा घर देना कि बाहर निकलने को चले पर निकल न…

6 years ago

गिर्दा का केदारनाद

विगत कुछ सालों से महानगरों में खप रहे युवाओं के बीच पहाड़ लौटकर कुछ कर गुजरने का एक नया, सकारात्मक…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 106

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

अलग पहचान रखता है थारू समुदाय

उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिले के तराई अंचल में रहने वाले एक समुदाय को…

6 years ago