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कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 120

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

ठेले पर हिमालय

प्रख्यात साहित्यकार डॉ. धर्मवीर भारती Dharmvir Bharti (25 दिसंबर, 1926 - 4 सितंबर, 1997) आधुनिक हिन्दी के अग्रणी लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक…

6 years ago

समकालीनता अब छुटभैयों का अभ्यारण्य है

किस बात के नामवर? लेखन के, समालोचन के, अध्ययन के, अध्यापन के, सम्पादन के, वक्तृत्व के या इन सबसे इतर…

6 years ago

निगम, दमुवाढूँगा और सुअर

विकासशील देश पालने में लेटे-लेटे लम्बे अरसे तक अमेरिका आदि देशों को ताकते रहते हैं. फिर विकास की घुट्टी पीकर…

6 years ago

साझा कलम : फालतू पुराण

"आ गए अच्छे दिन? आज तो पलंग के नीचे से निकालकर ड्राइंग रूम तक आ गए, क्या बात है !"-…

6 years ago

नामवर सिंह के साथ समाप्त हो गयी दूसरी परंपरा की खोज

हिन्दी साहित्य के सम्पूर्ण इतिहास पर एक शानदार पुस्तक की जरुरत आज भी जस की तस है. एक नाम जो…

6 years ago

मुनस्यारी से मदकोट के रास्ते में पड़ने वाले एक स्कूल के बहाने

पिथौरागढ़ की मुनस्यारी (Munsyari) तहसील के सुदूर दरकोट नामक स्थान पर पिछले बाईस वर्षों से एक स्कूल चल रहा है.…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 119

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

पिंटी का साबुन: संजय खाती की अविस्मरणीय कहानी

कथाकार संजय खाती का जन्म 1962 ई. में अल्मोड़ा में हुआ. कथा लेखन के साथ-साथ पत्रकारिता में निरंतर सक्रिय हैं.…

6 years ago

मेले में अकेले

कहो देबी, कथा कहो – 35 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 34 उन्हीं दिनों एक लंबी यात्रा पिथौरागढ़…

6 years ago