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मोत्दा-च्चा-बड़बाज्यू की दास्तान

यह विचित्र किस्म का नाम एक ही व्यक्ति का है, जिसमें एक साथ तीन रिश्तों के संबोधन पिरोए गए हैं.…

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बगड़: तटीय भूमि पर बसे गाँव-कस्बे

उत्तराखण्ड के गढ़वाल व कुमाऊँ दोनों ही मंडलों में कई जगहों के नाम में बगड़ शब्द का इस्तेमाल हुआ करता…

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हनुमान चौराहे का प्रेमालाप

ग्वालियर शहर की एक पुरानी सड़क, जिसका नाम नई सड़क था, के एक प्रसिद्ध चौराहे पर वो उसका इंतज़ार कर…

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पिथौरागढ़ की होली के बहाने पहाड़ में होली के रंग

बुरांश, आड़ू-पुलम, पैयां-नाशपाती के फूलों से भरे हुए रंग-बिरंगे पेड़ इस बात का संकेत देते हैं कि होली के त्यौहार…

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छछिया या छ्छेड़ो उर्फ़ छसिया: उत्तराखण्ड का पारंपरिक व्यंजन

छछिया का हिंदी अर्थ होता है एक बर्तन जिसमें मट्ठा रखा जाता है. लेकिन उत्तराखण्ड में यह एक अर्धतरल व्यंजन…

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अनजाने संपेरे, नट और जादूगर

कहो देबी, कथा कहो – 36 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 35 “कहो देबी, कहां चले गए थे?…

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चंडी प्रसाद भट्ट का इंटरव्यू

चिपको आंदोलन से सम्बद्ध चंडी प्रसाद भट्ट एक जाने माने पर्यावरणविद् व सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्हें 1982 में रेमन मैग्सेसे…

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कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 131

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

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महाशिवरात्रि के दिन पिथौरागढ़ के सेरादेवल मंदिर में मेले की तस्वीरें

पिथौरागढ़ जिले से छः किलोमीटर की दूरी पर एक गांव कासनी है. पिथौरागढ झूलाघाट रोड पर स्थित इस गांव के…

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जब संजु वडके की अफसरों के बच्चों वाली साइकिल मैंने डोट्याल की टांगों के बीच घुसाई

पहाड़ और मेरा जीवन – 23 जैसा कि मैंने पिछली किस्त में आपको अपने दोस्त संजु वडके के बारे में…

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