सिनेमा

दर्शकों से खीझकर गुरुदत्त ने बनाई थी चौदहवीं का चाँद

‘कागज के फूल’ के न चलने की वजह से गुरुदत्त को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि आत्मिक रूप से…

6 years ago

सिनेमा एक तरह का त्राटक है

अँधेरे में बैठकर एक जगमगाते स्क्रीन को देखना एक तरह का त्राटक ही है. आप आसपास की सारी दुनिया भूल…

6 years ago

सिनेमा : एक सदी बाद भी बरकरार है रुपहले परदे का तिलिस्म

आखिरकार 1895 में पेरिस के लुमिये भाइयों द्वारा आविष्कृत सिनेमा का माध्यम मूलत दृश्यों और ध्वनियों के मेल का ऐसा…

6 years ago

जब अब्दुल रशीद कारदार ने बनाईं एक साल में तीन फ़िल्में

होली, पागल और पूजा तीनों 1940 में अब्दुल रशीद कारदार की बनाई तीन फ़िल्में हैं. अब्दुल रशीद कारदार की सिनेमाई…

6 years ago

बॉलीवुड के सुरों में लमगड़ा की कारीगरी

बॉलीवुड के रुपहले परदे पर उत्तराखण्ड के कई कलाकारों ने खुद को साबित कर अच्छा नाम कमाया है. सामान्य दर्शक…

6 years ago

हिंदी सिनेमा की पहली फ़सक

मदान थियेटर और इम्पीरियल भारत में पहली बोलती फिल्म से पहले फिल्म निर्माण की सनसे बड़ी दो कम्पनियां थी. बोलती…

6 years ago

‘मंटो’ को समझने के लिए मंटो का ईमानदार पाठक भी होना होगा

एक लेखक के बतौर मंटो की कहानियों को अपने नैरेटिव का हिस्सा बनाती इस फ़िल्म का क्राफ्ट इसकी सबसे बड़ी…

6 years ago

भारत की पहली बोलती फिल्म

भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा, जिसके निर्माता इंपीरियल मूवी टोन के आर्देशिर ईरानी थे, मुंबई के मैजेस्टिक थिएटर…

6 years ago

सिनेमा : इश्क़ की कोई उम्र नहीं होती

2007 में इजरायल, अमरीका और फ्रांस के सहयोग से बनी कथा फ़िल्म बैन्ड्स विज़िट संगीत से उपजे प्रेम की एक…

6 years ago

सिनेमा : रोशनदान से दिखता घर का सपना

इटली में 1901 में पैदा हुए फिल्मकार वित्तोरियो डी सिका यथार्थवादी सिनेमा के उस्ताद हैं. यह कहना अतिश्योक्ति न होगी…

6 years ago