परम्परा

शिवलिंग का पूजन उत्तराखंड के इस धाम से शुरू हुआ था

शिव को अनेक रूपों में पूजा जाता है उन्हीं रूपों में एक है शिवलिंग. पौराणिक कथानुसार माना गया है कि…

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बिना लगन और पैट के होते हैं आज पहाड़ियों के काजकाम: उत्तराखंड में बसंत पंचमी

उत्तराखंड में बंसत पंचमी का दिन सबसे पवित्र दिनों में माना जाता है. कई स्थानों में इसे स्थानीय भाषा में…

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विरासत में मिलने वाली लोक कला ‘ऐपण’ की पृष्ठभूमि

उत्तराखंडी लोक कला के विविध आयाम हैं. यहाँ की लोक कला को ऐपण कहा जाता है. यह अल्पना का ही…

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दांत दर्द का ठेठ पहाड़ी ईलाज

पहाड़ों में जीवन अत्यंत कठिन है. इस कठिन जीवन को और अधिक कठिन बनाती है स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की…

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उत्तरायणी में कौवों को खिलाने की परंपरा के बारे एक लोक कथा

उत्तरायणी में कौवो को खिलाने की परंपरा के बारे में कई जनश्रुतियां एवं लोककथाएँ प्रचलित हैं. इनमें से एक लोक…

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जै जिया के जयकारे से गूंजा रानीबाग

मकर संक्राति की सुबह कड़-कड़ाती ठंड में स्नान के साथ समाप्त होता जियारानी का मेला. इससे पिछली रात रानीबाग़ में…

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आज पारम्परिक पकवानों की सुंगध बिखरेगी हर पहाड़ी परिवार में

घुघुतिया पहाड़ियों का सबसे प्रिय त्यौहार है. बिरला ही ऐसा कोई होगा जिसके भीतर घुघितिया की भीनी याद न होगी.…

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दून घाटी में साल के वन और उनमें विराजमान चार सिद्ध

दून घाटी में प्रवेश करते ही साल के खूबसूरत जंगल आपका स्वागत करते हैं. इस घाटी में आप चारों तरफ…

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अनपाशणि से पहले पिछले जन्म की सारी बातें याद रहती हैं

’प्राणो वा अन्नः’ अन्न ही प्राण है, यह वेदोक्त बात है. अन्न को ब्रह्म का स्वरूप भी कहा गया है,…

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कालिय नाग के ज्येष्ठ पुत्र धौलीनाग पर अटूट आस्था है कुमाऊं के लोगों की

श्रीकृष्ण के बाल्यकाल में यमुना के तट पर उनका कालियनाग से संघर्ष का वर्णन मिलता है. श्रीकृष्ण और कालिय नाग…

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