लोक

गुरुनानक की सिद्धियों का प्रतीक है नानकमत्ता

यह गुरुद्वारा उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंहनगर जिले में स्थित है. नानकमत्ता जिला मुख्यालय रुद्रपुर से टनकपुर जाने वाली सड़क में…

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देवी भगवती को समर्पित कोटगाड़ी देवी

देवी भगवती को समर्पित कोटगाड़ी देवी का मंदिर पिथौरागढ़ जनपद में उसके मुख्यालय से 55 किलोमीटर तथा डीडीहाट से 23…

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सरयू आज भी सिसकती है – कुसुमा की त्रासद लोककथा

सुसाट मन को कपोरता है. लग जाता है एक उदेख जिसके अंदर कुहरा जाती है बाली कुसुमा की ओसिल कहानी.…

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‘अपनी धुन में कबूतरी’ वृत्तचित्र का प्रदर्शन

(जगमोहन रौतेला की रपट) कुमाउनी लोकजीवन के ऋतुरैंण, न्योली, छपेली, धुस्का व चैती आदि विभिन्न विधाओं की लोकप्रिय लोकगायिका रही…

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ठेठ कुमाऊंनी रामलीला का इतिहास

चंदवंशी राजा बालो कल्याण चंद ने जिस अल्मोड़ा शहर को 1563 में बसाया, उसी अल्मोड़ा शहर के स्व. देवी दत्त…

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टोपी पहना दी जाती है तो कभी पहननी पड़ जाती है

टोपी का भी अपना इतिहास है. क्षेत्र व समुदाय से लेकर अपनी अलग पहचान बनाने के लिए भी टोपी पहनने…

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बर्फ़बारी के स्वागत का उत्सव सेल्कु मेला

उत्तराखण्ड के ज्यादातर त्यौहारों, मेलों का स्वरूप अध्यात्मिक के साथ-साथ प्राकृतिक भी दिखाई देता है. यहाँ के लोग उत्सव प्रेमी…

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किर्जी महोत्सव की कथा

उत्सव शब्द ही अपने आप में हर्षो-उल्लास एवं खुशी को व्यक्त करता है. जब भी किसी उत्सव की बात होती…

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गंगू रमौल और सेम मुखेम के नागराजा श्रीकृष्ण

गढ़वाल की प्रचलित लोकगाथाओं के अनुसार गंगू रमौल टिहरी जनपद में स्थित सेम-मुखीम क्षेत्र के मौल्यागढ़ (रमोलगढ़) का रहनेवाला एक…

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उत्तराखण्डी लोकसंस्कृति की अलख बनते और नयी उम्मीद जगाते युवा

आज जहाँ पलायन उत्तराखण्ड की प्रमुख समस्या बना हुआ है वहीँ कुछ युवा ऐसे भी हैं जिनमें महानगरों के सुविधाजनक…

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