कॉलम

समझना मुश्किल है पहाड़ की औरत के एक दिन का हिसाब-किताब

गांव जाता था तो मुझे मां जैसी ही ताई, चाची, दीदी, बुआएं भी लगती थीं. मैं हैरान होता था कि…

6 years ago

सी. वी. रमन के छात्र थे कुमाऊं विश्वविद्यालय के पहले कुलपति प्रो. डी. डी. पन्त

यह वाकया उस जमाने का है, जब देश को आजादी मिली ही थी. हिमालय के दूर-दराज गांव के अत्यंत विपन्न…

6 years ago

हिंदुस्तानी थिएटर की मलिका – बेगम क़ुदसिया जैदी

शायदा  चंडीगढ़ में रहने वाली पत्रकार शायदा  का गद्य लम्बे समय से इंटरनेट पर हलचल मचाता रहा है. इस दशक…

6 years ago

एक आदमी जो बात करते करते मिट्टी के ढूह में बदल गया.

संजय व्यास उदयपुर में रहने वाले संजय व्यास आकाशवाणी में कार्यरत हैं. अपने संवेदनशील गद्य और अनूठी विषयवस्तु के लिए…

6 years ago

ब्रह्मताल झील की यात्रा भाग-2

(पिछली कड़ी से आगे)   कैम्प साइट पर पहुँचते ही गजब की ठंडी होने लगी और ये क्या थोड़ी ही…

6 years ago

शऊर हो तो सफ़र ख़ुद सफ़र का हासिल है – 2

अमित श्रीवास्तव उत्तराखण्ड के पुलिस महकमे में काम करने वाले वाले अमित श्रीवास्तव फिलहाल हल्द्वानी में पुलिस अधीक्षक के पद…

6 years ago

हल्द्वानी का चलता फिरता सैलून

पहले बालों से ज्ञान, शील और चरित्र का काफी गहरा व्युतक्रमानुपाती सम्बन्ध माना जाता था. यानि सर के बाल जितने…

6 years ago

शऊर हो तो सफ़र ख़ुद सफ़र का हासिल है – 1

अमित श्रीवास्तव उत्तराखण्ड के पुलिस महकमे में काम करने वाले वाले अमित श्रीवास्तव फिलहाल हल्द्वानी में पुलिस अधीक्षक के पद…

6 years ago

आवारा कहूं या कॉस्मोपॉलिटन

कुछ कुत्ते पालतू नहीं बनते. लाख कोशिश करके देख लो, आप उन्हें पालतू बना ही नहीं सकते. पड़ोस के गांव…

6 years ago

बावरे अहेरी

ललित मोहन रयाल उत्तराखण्ड सरकार की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत ललित मोहन रयाल का लेखन अपनी चुटीली भाषा और पैनी…

6 years ago