कॉलम

साझा कलम – 2 – हेम पन्त

[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर…

6 years ago

शोला था जल बुझा हूं

मेहदी हसन को हम किस तरह याद करेंगे ये सोचना मुश्किल नहीं है क्योंकि उन्हें सुनते रहिए तो भूलने की…

6 years ago

आकाशमुखी लेखन का एंड्रॉयड युग

कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद, स्कूल-इंस्पेक्टर थे. वे अक्सर देहातों में दौरों पर रहते थे. आवागमन के साधन तब बहुत सीमित होते…

6 years ago

एक भूत, जो स्वच्छता अभियान का ब्रैंड एम्बेसडर था

उस कमरे में रामलीला का साजो सामान पड़ा रहता था. शाम के वक्त वह कमरा मोहल्ले के लड़कों के अड्डेबाजी…

6 years ago

ओ परुआ बौज्यू की गायिका बीना तिवारी के साथ मुलाकात

पिछली सदी के अंत तक जब टीवी का प्रचलन बहुत ज्यादा नहीं था, तब तक रेडियो ही आमजन के मनोरंजन…

6 years ago

परम भ्रष्टाचार विरोधी, अन्ना भक्त, भाई साहब !

भाई साहब, भ्रष्टाचार को अपने पतीत-पावन देश के लिए बहुत बड़ी बीमारी मानते थे. वे इसे देश के ऊपर कलंक…

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साझा कलम – 1 – लोकेश पांगती

[एक ज़रूरी पहल के तौर पर आज से हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी…

6 years ago

शहरी संकटों की मांद में जच्चाघर

बीतती बारिश के दिनों में हम सामने पड़े खाली प्लॉट में कुत्तों को गदर मचाते देख रहे थे. प्लॉट में…

6 years ago

तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो

तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो ? … और इसके उत्तर में काफ़ी देर शून्य में ताकता रहा.…

6 years ago

दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 3

(पिछली क़िस्त – दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 2) कहे अनुसार सुबह ठीक छह बजे परशु गिलास भर कर…

6 years ago