कॉलम

वह वन डे क्रिकेट का सबसे काला क्षण था

अगर टेस्ट क्रिकेट का सबसे शर्मनाक अध्याय बॉडीलाइन सीरीज़ के रूप में इंग्लैण्ड के कप्तान डगलस जार्डीन ने १९३० के…

6 years ago

सोने के बालों वाली सूना और उसके बीरा की कथा

बर्फ पड़ने के बाद की सुरसुराहट अब कम होने लगी थी. डाँडी-काँठी में जमा ह्यूं सर्दीले घाम के मद्धिम ताप…

6 years ago

साझा कलम: 6- प्रियंका पाण्डेय

[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर…

6 years ago

इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : चौथी क़िस्त

हिंदी की नई पौध के लिए एक चिट्ठी : नसीहत नहीं, ‘हलो’ मेरे नए रचनाकार दोस्तो! आज से करीब पचपन…

6 years ago

माता महेश गिरि

मोहिनीदी से फिर मुलाकात की उम्मीद कम होती जा रही है. अब कहां भेंट होगी! हमसे गांव कबके छूट गया.…

6 years ago

दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 4

(पिछली क़िस्त – दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 3) मैं दूकानों से थोड़ा आगे निकला और नीचे जंगल की…

6 years ago

विशाल हृदय वाले गुरूजी और हिरन का आखेट

हेडमास्टर साहब, मस्तमौला आदमी थे. टेंशन बिल्कुल नहीं पालते थे. बरसात के दिनों को छोड़कर, सालभर कक्षाएँ बाहर लगती थीं.…

6 years ago

प्रगतिशीलता का दुपट्टा और सुंदरता का कीड़ा

प्रगतिशीलता का दुपट्टा तह करके आलमारी में रख दूं तो इस सुंदरता वाले कीड़े ने मुझे भी कम नहीं काटा.…

6 years ago

‘गरुड़ा बटी छुटि मोटरा रुकि मोटरा कोशि’ के बहाने वीरेनदा की याद

वीरेन्द्र डंगवाल : कविता और जीवन में सार्थक भरभण्ड -नवीन जोशी गरुड़ बटी छुटि मोटरा, रुकि मोटरा कोशिअघिला सीटा चान-चकोरा,…

6 years ago

साझा कलम: 5 – कौशल पन्त

[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर…

6 years ago