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वह वन डे क्रिकेट का सबसे काला क्षण था

अगर टेस्ट क्रिकेट का सबसे शर्मनाक अध्याय बॉडीलाइन सीरीज़ के रूप में इंग्लैण्ड के कप्तान डगलस जार्डीन ने १९३० के दशक में लिखा था तो वन डे सीरीज़ में यह काम करनेवाले और कोई नहीं भारत के पूर्व कोच ग्रेग चैपल ने किया था. आस्ट्रेलिया में हो रही बेन्सन एंड हैजेज़ सीरीज़ के पांच फ़ाइनलों में से तीसरा मैलबर्न में १ फ़रवरी १९८१ को खेला जारहा था. पहला फ़ाइनल न्यूज़ीलैण्ड ने जीता था जबकि दूसरा आस्ट्रेलिया ने.

आस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए ग्रेग चैपल के नब्बे रनों की मदद से पचास ओवर में २३५ रन बनाए. जब ग्रेग बावन पर थे, मार्टिन स्नेडन ने डीप में उनका शानदार लो-कैचपकड़ा पर अम्पायर ने नॉट आउट दिया. स्नेडन ने थोड़ा सा विरोध भी किया. टीवी रिप्ले साफ़ दिखा रहे थे कि कैच सही लिया गया था – झल्लाए हुए कमेन्टेटर कह रहे थे कि ग्रेग नेखेल भावना दिखाते हुए स्नेडन की बात का मान रखते हुए वापस लौट जाना चाहिए था. कोई नहीं जानता था कि इस छो्टे से विवाद में किस शर्म के बीज छिपे हुए थे.

न्यूज़ीलैण्ड का मध्यक्रम पहले विकेट की पिचासी रनों की पार्टनरशिप के बावजूद बुरी तरह विफल रहा. ओपनर ब्रूस एडगर अलबत्ता एक छोर सम्हाले हुए थे. पचासवें ओवर कीपांचवीं गेंद पर विकेटकीपर इयान स्मिथ जब आउट हुए तो न्यूज़ीलैण्ड का स्कोर था आठ विकेट पर २२९ रन. ब्रूस एडगर १०२ रनों पर नॉन स्ट्राइकर छोर पर थे. ब्रायन मैकेन्ज़ी नेआखि़री बॉल खेलनी थी. इयान और ग्रेग चैपल के छोटे भाई ट्रेवर चैपल गेंदबाज़ी कर रहे थे.

तकनीकी रूप से अगर ब्रायन मैकेन्ज़ी उस गेंद पर छक्का मार देते तो मैच ने टाई हो जाना था और आगे चलकर छठे फ़ाइनल की नौबत तक आ सकती थी. काफ़ी देर तक ग्रेग चैपलअपने छोटे भाई से बहुत कुछ कहते रहे. जब यह बातचीत ज़्यादा ही लम्बी हो गई तो बाकी के खिलाड़ी भी उनकी बातें सुनने उन तक पहुंचे. ग्रेग जो कुछ ट्रेवर को बता रहे थे, उसेसुनकर डेनिस लिली जैसे जांबाज़ खिलाड़ी तक को जमीन पर लतियाते अपना असन्तोष जाहिर करते देखा गया. काफ़ी देर चली बातचीत के बाद ग्रेग ने दोनों अम्पायरों से कुछ कहा. अम्पायरों के हावभाव बता रहे थे कि वे ग्रेग चैपल की बात सुनकर अविश्वास और हैरत से भर गए थे. अम्पायरों ने बैट्समैन से वही कहा जो उन्होंने सुना था.

ग्रेग चैपल ने ट्रेवर से ब्रायन मैकेन्ज़ी को अन्डरआर्म गेंद फेंकने को कहा था यानी हाथ नीचे ले जा कर ट्रेवर ने गेंद पिच पर लुढ़का भर देनी थी. ऐसी गेंद पर छक्का मार पाने की कोईसंभावना नहीं बन सकती थी. क्रिकेट के नियमों के हिसाब से तब तक ऐसी गेंद वैध मानी जाती थी. ब्रायन मैकेन्ज़ी ने बेमन से उसे ठेला और गुस्से में बल्ला ज़मीन पर दे मारा. आस्ट्रेलिया मैच जीत गया और मैकेन्ज़ी को अपने व्यवहार का स्पष्टीकरण देना पड़ा. लौटती हुई आस्ट्रेलियाई टीम की दर्शकों ने जमकर हूटिंग की. उस मैच के बाद न्यूज़ीलैण्ड ड्रेसिंगरूम के महौल को याद करते हुए किवी खिलाड़ी वारेन लीज़ ने याद करते हुए कहा था कि बहुत देर तक छाई सघन चुप्पी को तोड़ते हुए मार्क बर्जेस ने दीवार पर चाय का प्याला मारकर चकनाचूर कर डाला था.

जैसा कि होना ही था, इस कृत्य के विरोध में तमाम स्वर उठे. न्यूज़ीलैण्ड के प्रधानमन्त्री रॉब मुल्डून ने कहा: “यह आस्ट्रेलियाइयों की दुर्भावना का एक नमूना था और मुझे लगता है किइसीलिये उनकी पोशाक का रंग पीला है जिसे कायरता का रंग माना जाता है.” आस्ट्रेलिया के राष्ट्रपति मैल्कम फ़्रेज़र ने ग्रेग के कृत्य को “खेल भावना के विपरीत” माना. चैनल नाइन केलिए कमेन्ट्री कर रहे रिची बेनो के मुताबिक क्रिकेट मैदान पर ऐसा शर्मिन्दा करने वाला क्षण उन्होंने पहले नहीं देखा.

उस विवादास्पद गेंद के साथ जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि तकनीकी रूप से वह नोबॉल थी क्योंकि ग्रेग के फ़ैसले के बाद मची अफ़रातफ़री के दौरान डेनिस लिली अपनी नियतजगह फ़ील्डिंग करने नहीं पहुंच पाए और अन्दरूनी फ़ील्डिंग दायरे में एक खिलाड़ी ज़्यादा था. बहरहाल, आई सी सी ने बहुत जल्द ही वन डे मैचों में अन्डरआर्म गेंदबाज़ी पर प्रतिबन्धलगा दिया गया.

जहां ग्रेग और इयान चैपल अपने विवादित कैरियरों के अलावा अपने स्पृहणीय आंकड़ों के लिए जाने जाते हैं, उनका सबसे छोटा भाई ट्रेवर मात्र तीन टेस्ट और बीस वनडे खेल सका. यह बात दीगर है कि बड़े भाई की मेहरबानी से क्रिकेट के इतिहास उसका नाम भी हमेशा याद किया जाता रहेगा, वजह चाहे जो भी हो.

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