कॉलम

रंग उसे बीजगणित की जटिल वीथियों में ले जाते थे

मून फ्लोरिस्ट वो जब भी इस दुकान के आगे से गुज़रता, हल्का सा ठिठक जाता.. . और सोचने लगता कि…

6 years ago

अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 2

पिछली कड़ी गुडी गुडी डेज़ -अमित श्रीवास्तव बतकुच्चन मामा फैल गए थे. ये बात उनको नागवार गुज़री थी. वैसे तो…

6 years ago

मीटू इज स्वीटू

गुजरात के शहरों और कस्बों से हिंदी बोलने वाले बिहार, यूपी, एमपी के भइया लोग देसी गालियां और लात देकर…

6 years ago

माफ़ करना हे पिता – 4

(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 3) उन्हीं दिनों कभी मैंने पिता से पूछा कि क्या इंदिरा गांधी तुमको…

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रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 4

(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 3) वेदनी बुग्याल को पार करते हुए…

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रामी बुढ़िया ( लोककथा )

एक गांव में रामी नाम की बुढिया रहती थी, उसकी बेटी का विवाह दूर एक गांव में हुआ था जहाँ…

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सूरज की मिस्ड काल – 8

धूप का चौकोर टुकड़ा सुबह का समय है. कमरे के बाहर बरामदे में धूप का चौकोर टुकड़ा अससाया सा लेटा…

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कहो देबी, कथा कहो – 2

पिछली कड़ी वे संगी-साथी हां तो सुनो, कक्षा में मेरे एक-दो दोस्त बन गए, लेकिन निवास पर मैं अलग-थलग-सा पड़…

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माफ़ करना हे पिता – 3

(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 2) एक दिन सुबह के वक्त मैं खेलता हुआ मकान मालिक के आँगन…

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रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 3

(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 2) सुनसान बुग्याल में मुझे दो युवा…

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