शंभू राणा

खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर

यह 2007 की बात है. दिन-वार ठीक से याद नहीं. अक्टूबर का महीना था. उन दिनों रामलीला(एं) चल रही थीं.…

5 months ago

न जाने पहाड़ के कितने परिवारों की हकीकत है शंभू राणा की कहानी ‘बेदखली’

बड़े से लॉन में उगायी गयी अमेरिकन घास के बीच-बीच में उग आयी चलमोड़िया घास की जड़ें खोदने में खड़क…

2 years ago

फिल्मों का क्रेज़ और वो ज़माना

जिस तरह पुराने हीरो अब हीरो नहीं रहे, एक दम ज़ीरो हो गए हैं या दादा-नाना बनकर खंखार रहे हैं,…

2 years ago

अल्मोड़ियापन, अल्मोड़ियत या अल्मोड़िया चाल का दस्तावेज है भूमिका जोशी की पहली किताब

‘लच्छी’ भूमिका जोशी का इसी वर्ष प्रकाशित उपन्यास है. वाणी प्रकाशन से छपा यह उपन्यास एक घर, उसके बाशिन्दों और…

5 years ago

अल्मोड़ा से बीबीसी रेडियो की भीनी-भीनी यादें

शम्भू राणा का यह लेख नैनीताल समाचार में वर्ष 2011 में तब छपा था जब हिंदी समेत कई भाषाओं में बीबीसी…

5 years ago

अल्मोड़ा में सार्वजनिक ब्लैक-बोर्ड की गाथा

अल्मोड़ा शहर में दो-तीन सार्वजनिक जगहों पर ब्लैक-बोर्ड बने हैं. एक है बस स्टेशन पर, कचहरी को जाने वाली सीढ़ियों…

5 years ago

एक अल्मोड़िया शगल ऐसा भी

अमूमन हर आदमी को कोई न कोई शौक-शगल-खब्त-आदत-लत होती है. फेहरिश्त काफी लंबी हो सकती है. इसमें कचहरी जाना भी…

5 years ago

लिखता हूँ ख़त खून से स्याही न समझाना

ख़तो-किताबत-शंभू राणा             क़ासिद के आते-आते ख़त एक और लिख रखूं,            मैं   जानता   हूँ, जो   वो   लिखेंगे   जवाब   में ख़तो-किताबत के प्रति ऐसी बेताबी…

5 years ago

जनार्दन बाबू का कायाकल्प

आज विश्वास करना मुश्किल होता है कि जनार्दन बाबू कभी ऐसे न थे जैसे अब हो गए हैं. लगभग सालभर…

5 years ago

ईश्वर के नाम शम्भू राणा का ख़त

प्रिय ईश्वर, आज जमाने भर बाद किसी को पत्र लिखने बैठा हूं. तुम तो जानते ही हो कि अर्सा हुआ…

5 years ago