देवेन मेवाड़ी

फूलों का मौसम आ गयाफूलों का मौसम आ गया

फूलों का मौसम आ गया

पहाड़ में इन दिनों वनों में लाल-लाल बुरांश के फूल खिल गए हैं. हरे-भरे वनों में जहां नजर डालो, लगता…

5 years ago
भिटौली : भाई-बहिन के प्यार का प्रतीकभिटौली : भाई-बहिन के प्यार का प्रतीक

भिटौली : भाई-बहिन के प्यार का प्रतीक

उत्तराखंड में चैत्र माह में प्यूंली के पीले और बुरांश के लाल फूल खिल कर वसंत ऋतु के आगमन का…

5 years ago
चंद्र दत्त पंत मास्साब की स्मृति मेंचंद्र दत्त पंत मास्साब की स्मृति में

चंद्र दत्त पंत मास्साब की स्मृति में

मैं उनसे पहली बार आज से ठीक 58 वर्ष पूर्व मार्च 1962 में मिला था. मैंने वहां लीलावती पंत इंटर…

5 years ago
क्रिसमस ट्री : सिर्फ पेड़ नहीं, परम पिता परमेश्वर में हमारी आस्था व विश्वास का प्रतीकक्रिसमस ट्री : सिर्फ पेड़ नहीं, परम पिता परमेश्वर में हमारी आस्था व विश्वास का प्रतीक

क्रिसमस ट्री : सिर्फ पेड़ नहीं, परम पिता परमेश्वर में हमारी आस्था व विश्वास का प्रतीक

क्रिसमस का त्यौहार आ गया है. आइए, आज ‘क्रिसमस ट्री’ की बात करते हैं. (Christmas tree Deven Mewari) क्रिसमस ट्री…

5 years ago
मल्या उड़ कर माल-भाबर की ओर जाते थे और हम गर्म इलाके के अपने दूसरे गांवमल्या उड़ कर माल-भाबर की ओर जाते थे और हम गर्म इलाके के अपने दूसरे गांव

मल्या उड़ कर माल-भाबर की ओर जाते थे और हम गर्म इलाके के अपने दूसरे गांव

पहाड़ की चोटी पर बसे अपने गांव में शीत ऋतु से सामना बचपन में ही हो चुका था. सर्दियां शुरू…

5 years ago
अनोखी शख्सियत थे कैलाश साह यानी कैलाश दाज्यूअनोखी शख्सियत थे कैलाश साह यानी कैलाश दाज्यू

अनोखी शख्सियत थे कैलाश साह यानी कैलाश दाज्यू

एक अनोखी शख़्शियत थे कैलाश साह यानी कैलाश दाज्यू. एक में अनेक थे वे, किसी के लिए पत्रकार, किसी के…

5 years ago
पहाड़ों में पाया जाने वाला फल जिसे चंगेज खां अपने सैनिकों को उनकी याददाश्त बढ़ाने के लिये खिलाता थापहाड़ों में पाया जाने वाला फल जिसे चंगेज खां अपने सैनिकों को उनकी याददाश्त बढ़ाने के लिये खिलाता था

पहाड़ों में पाया जाने वाला फल जिसे चंगेज खां अपने सैनिकों को उनकी याददाश्त बढ़ाने के लिये खिलाता था

कुछ समय पहले पहाड़ से कवि-कथाकार मित्र अनिल कार्की ने नन्हे, सुंदर, सिंदूरी फलों से लदे एक अनजाने पौधे का…

5 years ago
कहां गया हमारे पहाड़ का चुआकहां गया हमारे पहाड़ का चुआ

कहां गया हमारे पहाड़ का चुआ

अब तो भूले-बिसरे ही याद आता है हमें रामदाना. उपवास के लिए लोग इसके लड्डू और पट्टी खोजते हैं. पहले…

5 years ago
टिहरी-उत्तरकाशी में बारह साल बाद नील कुरेंजी की बहार आई है बलटिहरी-उत्तरकाशी में बारह साल बाद नील कुरेंजी की बहार आई है बल

टिहरी-उत्तरकाशी में बारह साल बाद नील कुरेंजी की बहार आई है बल

दूर उत्तराखंड के पहाड़ों से रैबार देने वाले पत्रकार साथी संजय चौहान और शैलेंद्र गोदियाल का कहना है कि उत्तरकाशी…

5 years ago
बम्बइया पिक्चर की कहानी, दिल्ली की थकान और कुमाऊं का लोकगीत: देवेन मेवाड़ी की स्मृति में शैलेश मटियानीबम्बइया पिक्चर की कहानी, दिल्ली की थकान और कुमाऊं का लोकगीत: देवेन मेवाड़ी की स्मृति में शैलेश मटियानी

बम्बइया पिक्चर की कहानी, दिल्ली की थकान और कुमाऊं का लोकगीत: देवेन मेवाड़ी की स्मृति में शैलेश मटियानी

सन् साठ के दशक के अंतिम वर्ष थे. एम.एस.सी. करते ही दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में नौकरी लग…

5 years ago