कला साहित्य

अल्मोड़ा से राइटर बनने माया नगरी पहुँचे दो पहाड़ियों का किस्सा डेढ़ यार

अल्मोड़ा से बम्बई चले डेढ़ यार – पहली क़िस्त पहले अल्मोड़ा से अपनी मीट की दुकान से भागकर मुंबई पहुंचे…

6 years ago

सपने में भी सच न बोलना, वर्ना पकड़े जाओगे

बाबा नागार्जुन की एक पुरानी कविता (Poem of Baba Nagarjun) सच न बोलना मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने…

6 years ago

उत्तराखण्डी लोकसंस्कृति की अलख बनते और नयी उम्मीद जगाते युवा

आज जहाँ पलायन उत्तराखण्ड की प्रमुख समस्या बना हुआ है वहीँ कुछ युवा ऐसे भी हैं जिनमें महानगरों के सुविधाजनक…

6 years ago

एक थे गुलशन नंदा

एक थे गुलशन नंदा. हिन्दी में पल्प फिक्शन उर्फ लुगदी साहित्य के सबसे ज़्यादा बिकने वाले लेखक. अपने दौर, 60…

6 years ago

इस शहर के लोग उनको रोज़ जूतों से कुचल कर चले जाते है

शिखर गोयल की कविताएं शिखर गोयल का जन्म 1993 में दिल्ली में हुआ. इनकी नज्में कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं…

6 years ago

जन्माष्टमी पर विशेष: नज़ीर अकबराबादी की नज़्म “यारो सुनो ये ब्रज के लुटैया का बालपन”

आज से कोई तीन सौ बरस पहले आगरे में एक बड़े शायर हुए नज़ीर अकबराबादी. नज़ीर अकबराबादी साहब (१७४०-१८३०) उर्दू…

6 years ago

भूख सोचता रहा, भूख खाता रहा, दिल्ली आके रुका

पड़ताल - इब्बार रब्बी सर्वहारा को ढूँढ़ने गया मैं लक्ष्मीनगर और शकरपुर नहीं मिला तो भीलों को ढूँढ़ा किया कोटड़ा…

6 years ago

ये एक बहुत-बहुत स्‍याह और एक बहुत-बहुत उजली कहानी है

[आज माइकेल जैक्सन का जन्मदिन है. दुनिया में उनके चाहनेवालों की संख्या करोड़ों में है. उन्हीं को याद करते हुए…

6 years ago

जोगी और गौरा की कथा

दिन भर रुक रुक कर बारिश और उसके साथ बर्फ पड़ती रही.माँ और दादी नंगे पैर पनदेरे से गागर में…

6 years ago

‘अश्लील’ अफ़साने लिखने वाली अम्मा की सालगिरह है आज

पिछले बरस आज के दिन गूगल पर सफ़ेद साड़ी में लिपटी एक महिला का डूडल लगाया गया था.  गूगल पिछले…

6 years ago