कला साहित्य

मंटो क्यों लिखता था

मैं क्यों लिखता हूँ -सआदत हसन मंटो मैं क्यों लिखता हूँ? यह एक ऐसा सवाल है कि मैं क्यों खाता हूँ...…

6 years ago

कविता : दिल्ली में अपना फ़्लैट बनवा लेने के बाद एक आदमी सोचता है

(विष्णु खरे - 1940 से 2018) दिल्ली में अपना फ़्लैट बनवा लेने के बाद एक आदमी सोचता है (कविता सुनें)…

6 years ago

लड़कियों के बाप

विष्णु खरे समकालीन सृजन परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण नाम रहे. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 9 फरवरी 1940 को जन्मे विष्णु…

6 years ago

बार-बार अपनी जड़ों की ओर क्यों उगते हैं बंबई के डेढ़ यार

अल्मोड़ा से बम्बई चले डेढ़ यार – तीसरी क़िस्त कठोपनिषद की तीसरी वल्ली (अध्याय) का पहला मंत्र है: ऊर्ध्व्मूलोSवक्शाख एशोSश्वत्थः…

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मेरी नानी हिमालय पर मूंग दल रही है

रमाशंकर यादव 'विद्रोही' (3 दिसम्बर 1957 - 8 दिसंबर 2015) हिंदी के लोकप्रिय जनकवि हैं. वे स्नातकोत्तर छात्र के रूप…

6 years ago

गाबो और उनकी शकीरा

आज से करीब सोलह साल पहले अंग्रेज़ी अख़बार 'द गार्जियन' ने शनिवार 8 जून 2002 को नोबेल विजेता गाब्रिएल गार्सीया…

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झरिया में है नोकिया का टावर

झरिया में है नोकिया का टावर -शेफाली फ्रॉस्ट तुम आयी हो लपटती ज़मीन की गुफाओं से निकल, तुम आयी हो…

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हम मारे जाएंगे अगर नहीं रचेंगे देवताओं को, हम मारे जाएंगे अगर हम उनकी हत्या नहीं करेंगे

अदूनिस - विडंबनाओं और पराकाष्ठाओं के कवि सीरिया में १९३० में जन्मे सीरियाई – लेबनानी मूल के कवि, साहित्यालोचक, अनुवादक,…

6 years ago

महमूद दरवेश बता रहे हैं कविता से कैसे पैदा की जाती है उम्मीद

पिछली सदी के महानतम कवियों में शुमार महमूद दरवेश ने, अपनी मृत्यु से एक साल पहले दिये गए एक साक्षात्कार…

6 years ago

विष्णु खरे: बिगाड़ के डर से ईमान का सौदा नहीं किया

विष्णु जी नहीं रहे. हिंदी साहित्य संसार ने एक ऐसा बौद्धिक खो दिया, जिसने ‘बिगाड़ के डर से ईमान’ की बात…

6 years ago