कला साहित्य

डूबता शहर: टिहरी बांध बनने में शिल्पकार समाज के संघर्षों का रेखांकन करने वाला उपन्यास

साहित्यकार ‘बचन सिंह नेगी’ का मार्मिक उपन्यास 'डूबता शहर’ "...शेरू भाई! यदि इस टिहरी को डूबना है तो ये लोग…

3 years ago

गांव के उन रास्तों पर अब कोई नहीं चलता

छोटी-छोटी सड़कों ने पहाड़ों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. इन सड़कों के कारण तमाम रास्ते बंद हो गए जो पहाड़…

3 years ago

पहाड़ी इस्कूली छोरों के चोरी के किस्से

बचपन गांव में बीते और कभी चोरी नहीं की हो ये हो नहीं सकता. पहाड़ में प्राकृतिक चीजों की चोरी…

3 years ago

ललित मोहन रयाल का नया उपन्यास ‘चाकरी चतुरंग’

व्यावहारिक- सामाजिक सन्दर्भों में 'व्यवस्था' का दृश्य-अदृश्य जितना व्यापक प्रभाव है साहित्यिक-सामाजिक विमर्श में ये उतना ही सामान्यीकृत पद है.…

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‘पूस की रात’ दर्द और दोस्ती की कहानी

हल्कू ने आकर स्त्री से कहा- सहना आया है, लाओ, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला…

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कृश्न चंदर की कहानी : जामुन का पेड़

रात को बड़े ज़ोर का झक्कड़ (आंधी) चला. सेक्रेटेरियट के लाॅन में जामुन का एक दरख़्त गिर पड़ा. सुबह जब…

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कहानी : निपल्ट है जो

सारा सामान राधे ने सार कर सड़क पर पंत की दुकान तक पहुंचा दिया था. शंभुवा बैग लेकर खड़ा था…

3 years ago

जीवन का एक जरूरी पाठ पढ़ाती है भीष्म साहनी की कहानी ‘चीफ की दावत’

आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ की दावत थी. शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फुर्सत न थी.…

3 years ago

सामाजिक व्यवस्था पर तमाचा है प्रेमचन्द की यह कहानी

झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के और अन्दर बेटे कि जवान बीवी बुधिया…

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‘ज़िंदगी और जोंक’ अमरकांत की कालजयी कहानी

मुहल्‍ले में जिस दिन उसका आगमन हुआ, सबेरे तरकारी लाने के लिए बाजार जाते समय मैंने उसको देखा था. शिवनाथ…

3 years ago