साहित्यकार ‘बचन सिंह नेगी’ का मार्मिक उपन्यास 'डूबता शहर’ "...शेरू भाई! यदि इस टिहरी को डूबना है तो ये लोग…
छोटी-छोटी सड़कों ने पहाड़ों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. इन सड़कों के कारण तमाम रास्ते बंद हो गए जो पहाड़…
बचपन गांव में बीते और कभी चोरी नहीं की हो ये हो नहीं सकता. पहाड़ में प्राकृतिक चीजों की चोरी…
व्यावहारिक- सामाजिक सन्दर्भों में 'व्यवस्था' का दृश्य-अदृश्य जितना व्यापक प्रभाव है साहित्यिक-सामाजिक विमर्श में ये उतना ही सामान्यीकृत पद है.…
हल्कू ने आकर स्त्री से कहा- सहना आया है, लाओ, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला…
रात को बड़े ज़ोर का झक्कड़ (आंधी) चला. सेक्रेटेरियट के लाॅन में जामुन का एक दरख़्त गिर पड़ा. सुबह जब…
सारा सामान राधे ने सार कर सड़क पर पंत की दुकान तक पहुंचा दिया था. शंभुवा बैग लेकर खड़ा था…
आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ की दावत थी. शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फुर्सत न थी.…
झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के और अन्दर बेटे कि जवान बीवी बुधिया…
मुहल्ले में जिस दिन उसका आगमन हुआ, सबेरे तरकारी लाने के लिए बाजार जाते समय मैंने उसको देखा था. शिवनाथ…