रिव्यू

वन्स अगेन – फिल्म रिव्यू

किसी भी एहसास पर कला का प्रदर्शन बेहद कठिन काम है फिर अगर एहसास प्यार हो तो काम और कठिन…

5 years ago

सिनेमा: पांच मिनट में सत्रह देशों की दुनिया

एन वुड द्वारा 1984 में स्थापित टीवी कंपनी रैगडौल से सीख मिलती है कि एक अच्छा प्रोग्राम कैसे और कितनी…

5 years ago

‘बधाई हो’ : गम्भीर परिस्थितियों से उपजी सरल कॉमेडी

बॉलीवुड में गम्भीर विषयों पर बनी 'सिचुएशनल कॉमेडी' फिल्मों में 'पड़ोसन', 'चुपके चुपके', 'गोलमाल', 'जाने भी दो यारो', 'अंदाज अपना…

6 years ago

विचारोत्तेजक सवाल छोड़ती जाती है ‘सन ऑफ मंजीत सिंह’ फिल्म

लगता है कि अच्छी फिल्मों का दौर फिर से लौट आया है. बॉलीवुड में तो अच्छी - अर्थपूर्ण फिल्में बन…

6 years ago

सिनेमा : मध्यमवर्गीय लड़कियों की अन्तरंग कहानी ‘निर्णय’

ग़ाज़ियाबाद की निम्न मध्यवर्गीय बस्ती प्रताप विहार में पली-बढ़ी पुष्पा रावत के लिए वह दिन बहुत निर्णयात्मक साबित हुआ जब…

6 years ago

‘मंटो’ को समझने के लिए मंटो का ईमानदार पाठक भी होना होगा

एक लेखक के बतौर मंटो की कहानियों को अपने नैरेटिव का हिस्सा बनाती इस फ़िल्म का क्राफ्ट इसकी सबसे बड़ी…

6 years ago

सिनेमा : इश्क़ की कोई उम्र नहीं होती

2007 में इजरायल, अमरीका और फ्रांस के सहयोग से बनी कथा फ़िल्म बैन्ड्स विज़िट संगीत से उपजे प्रेम की एक…

6 years ago

सिनेमा : रोशनदान से दिखता घर का सपना

इटली में 1901 में पैदा हुए फिल्मकार वित्तोरियो डी सिका यथार्थवादी सिनेमा के उस्ताद हैं. यह कहना अतिश्योक्ति न होगी…

6 years ago

स्मृति के स्पेस में छितरा हुआ सेल्यूलॉयड – गैंग्स आफ वासेपुर

अनुराग कश्यप चलती का नाम गाड़ी हो चुके हैं. सितारेदार प्री-पेड रिव्यूज का पहाड़ लग चुका है. वे अब आराम…

6 years ago

जनता के साथ धोखा हैं भगत सिंह पर बनी फिल्में

भगत सिंह के जीवन पर बनी फिल्में बुद्धिजीवियों और इतिहासकारों के मध्य भी चर्चा का विषय बनी रहीं. इसलिए कि…

6 years ago