समाज

आंखें नहीं तो क्या, उम्मीदों की रोशनी का उजियारा बहुत है

ये उस शख्स के दृण संकल्प का नतीजा है जिसने अपनी आंखों की रौशनी तो खो दी मगर समाज में…

4 years ago

पहाड़ी महिलाएं पलायन के लिये कितनी जिम्मेदार

पलायन पहाड़ी गावों की संभवतया सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने है. इसके कारणों पर बड़े-बड़े विशेषज्ञ अपनी बात…

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1945 के नैनीताल की स्मृतियां

मेरा बाल्यकाल अल्मोड़ा में बीता. पिताजी अल्मोड़ा में रहते थे. हमारी दुनिया अल्मोड़े तक ही सीमित थी. कुमाऊवासियों के लिए…

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मडुवे की गुड़ाई के बीच वो गीत जिसने सबको रुला दिया

चौमास (बरसात) में बारिश से जरा सी राहत मिली कि सारे गांव के लोग कोदा-झंगोरा गोड़ने खेतों की ओर चल…

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उत्तराखंड के लोकपर्व ‘खतड़ुवा’ पर एक महत्वपूर्ण लेख

यह लेख भी सन् 1920 में डाँग श्रीनगर निवासी श्री गोविन्दप्रसाद घिल्डियाल, बी.ए. डिप्टी कलेक्टर, उन्नाव द्वारा लिखित और विश्वंभरदत्त…

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अतीत के पन्नों में भवाली की दो बहिनें ब्लोसम और ब्लांची

रानीखेत रोड से बाजार की तरफ बढ़ने पर बाईं ओर एमईएस परिसर की तरफ पक्के पैराफिट से लगे कई कच्चे…

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अपनी बोली-बानी और संगीत को समर्पित थे नित्यानंद मैठाणी

तो, नित्यानंद मैठाणी  जी भी चले गए. 14 सितम्बर, 2020 की रात 86 वर्ष की आयु में लखनऊ में उनका…

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पहाड़ के मायादार लोकगायक हीरा सिंह राणा ‘हिरदा’ का जन्मदिन है आज

अपने गीतों व गायन के माध्यम से लोगों में जनचेतना का संचार करने वाले और उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान, लस्का…

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ऑनलाइन शिक्षा के इस मकड़जाल में हमारे बच्चे कहां हैं

इक्कीसवीं सदी के बहुत प्रतिभाशाली बुद्धिजीवी और हिब्रू यूनिवर्सिटी युरोशलम में प्रोफेसर युवाल नोवा हरारी अपने एक लेख में बताते…

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मुनस्यारी के चचा के बहाने इंजीनियरिंग के जमीनी पाठ

गांव में एक चचा थे, सरिया और एल्युमिनियम के तार मोड़कर इतनी जबर्दस्त गाड़ियां बनाते थे कि क्या कहने, रविवार…

4 years ago