समाज

शौर्य गाथा: उत्तराखण्ड की मिट्टी से बना नए साल का कैलेंडर

उत्तराखंड के अतीत, वर्तमान से जुड़ी गौरव गाथाएं उत्तराखण्ड की नई पीढ़ी तक पहुंचाना बहुत जरुरी है. उन्हें उनके पूर्वजों…

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मेल-मिलाप पसन्द प्रताप भैया का अनमेल व्यक्तित्व: जन्मदिन विशेष

प्रताप भैया यदि हमारे बीच होते तो 88 वर्ष आज के दिन पूरे करते. दस वर्ष पूर्व संसार से विदा…

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एक आमा की सलाह पर पुरखू ने सीरागढ़ किले पर क़ब्ज़ा किया

डोटी की राजकुमारी रुद्रचंद की मां ने तोहफे में अपने भाई से सीरा मांगा, लेकिन भाई ने उसे देने से…

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सिद्धों व सन्तों की तपोभूमि भी रहा भवाली क्षेत्र

भवाली, कुमाऊं क्षेत्र का प्रवेश द्वार होने के कारण देश के दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले परिब्राजक बद्रीनाथ, केदारनाथ…

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अंतिम चंद शासक महेन्द्र चंद और गोरखा आक्रमण

महेन्द्रचंद (1788-91) चंद राजवंश का अंतिम शासक था. सन् 1791 में गोरखों के साथ हुए हवालबाग युद्ध पराजित होकर कुमाऊँ…

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मन्दाकिनी घाटी में कही जाने वाली कालिदास और रेवती की प्रेम कहानी

केदार घाटी का गाँव 'आश्रम'. यहीं परमेश्वरानन्द और उनकी सती-साध्वी पत्नी पार्वती रहती थी. सुबह-शाम अपने इष्टदेव की आराधना करते…

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चन्द्र सिंह राही: आवाज जो सुनने वालों के कानों में खनक भर देती है

चन्द्र सिंह राही, ग्रामोफोन, कैसेट, सी. डी. दौर की पहली पीढ़ी के गढ़वाली लोकगायकों में से एक थे. उनका जन्म…

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दून घाटी में साल के वन और उनमें विराजमान चार सिद्ध

दून घाटी में प्रवेश करते ही साल के खूबसूरत जंगल आपका स्वागत करते हैं. इस घाटी में आप चारों तरफ…

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गढ़वाल चित्रकला शैली और मौलाराम

उत्तराखंड का गढ़वाल हिमालय अपनी नैसर्गिक सुन्दरता तथा पवित्र वातावरण के लिए प्रसिद्ध रहा है. यह क्षेत्र भारतीय संस्कृति की…

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दीवाली-सा लगा था गढ़वालियों को वो क्रिसमस

क्रिसमस-युद्धविराम, प्रथम विश्वयुद्ध की सबसे प्रसिद्ध उपकथाओं में से एक है. पूरी तरह से अनऑफिशियल और तात्कालिक ये युद्धविराम 24-25…

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