समाज

“रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों” – उत्तराखण्ड लोकसंगीत की विलुप्त वैरागी परम्परा

बुजुर्ग लोग बताते हैं कि आज से कोई पांच-छह दशक पूर्व तक गुरु गोरखनाथ की परंपरा के नाथ पंथी योगी…

5 years ago

ऐसे बनती है उत्तराखंड में दही रखने वाली ‘ठेकी’

[बागेश्वर के कन्यालीकोट गाँव के लोग परंपरा से ही लकड़ी की ठेकियां बनाते आ रहे हैं. बड़े पैमाने पर लकड़ी…

5 years ago

अलग पहचान रखता है थारू समुदाय

उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिले के तराई अंचल में रहने वाले एक समुदाय को…

5 years ago

विश्व के हर कोने में खेला जाता है उत्तराखंड का खेल: ‘गुट्टी’

लोक से जुड़ी किसी भी चीज की एक विशेषता होती है कि वह अन्तराष्ट्रीय स्तर पर किसी न किसी रूप…

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शमशेर सिंह बिष्ट का एक आत्मीय संस्मरण

शमशेर सिंह बिष्ट ठेठ पहाड़ी थे. उत्तराखंड के पहाड़ी ग्राम्य जीवन का एक खुरदुरा, ठोस और स्थिर व्यक्तित्व. जल, जंगल…

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गुप्तकाशी: जहाँ शिव गुप्तवास पर रहे

उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में बसा है (Guptkashi) गुप्तकाशी. यह क़स्बा केदारघाटी में मन्दाकिनी नदी के सुन्दर…

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खजुराहो की शिल्पकला की झलक है चम्पावत के बालेश्वर मंदिर में

खजुराहो की शिल्पकला समाहित किये कामसूत्र की परम्परा का अनुसरण करती पत्थर की मूर्तियाँ कुमाऊँ में या तो अल्मोड़ा के…

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1984 में अल्मोड़े के विज्ञापनों की दुनिया

इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सफ़ेद को सुंदर और काले को बदसूरत मानने के चलन में विज्ञापन…

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‘नशा नहीं रोजगार दो’ के 35 बरस

आज ‘नशा नहीं रोजगार दो’ आन्दोलन को पूरे 35 साल हो चुके हैं. इस आंदोलन पर नैनीताल समाचार ने 1…

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शिव के वंशज हिमालय के गन्धर्व

उत्तराखण्ड (Uttarakhand) में कई ऐसी जातियां हैं जो राजस्थान के मिरासियों की तरह ही पेशेवर रूप से गायन-वादन का ही…

5 years ago