समाज

मसाण, आंचरी, खबीस और ऐड़ी : कुमाऊं-गढ़वाल में निवास करने वाली पारलौकिक शक्तियां

मृत्यु के बाद आदमी कहां जाता है? इस प्रश्न ने मानव सभ्यता को हजारों सालों से असमंजस में डाला है.…

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‘तीलै धारू बोला’ कहीं उत्तराखण्डी महिलाओं की व्यथा-कथा तो नहीं?

जब से हमने होश संभाला, कुमांऊनी का गाना – ‘चैकोटकि पारबती तीलै धारू बोला बली, तीलै धारू बोला’ अथवा ‘ओ…

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गंगोलीहाट की डॉ. सविता जोशी जो गुड़गांव में गेरु और बिस्वार से ऐपण बना कर देश और दुनिया में अपनी संस्कृति को लोकप्रिय बना रही हैं

ऐपण हमारी परवरिश का एक हिस्सा रहा है जो बाद में केवल महिलाओं और लड़कियों तक सीमित रह गया. ऐपण…

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जब हरु देवता ने बारह साल की कैद से मुक्त कराया सैम देवता को

कुमाऊं  के जागरों में ‘छिपुलाकोट का हाड़’ के नाम से सैम की एक जागर गाथा गायी जाती है जिसमें बताया…

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1901 में बाबू रामप्रसाद मुख्तार ने बनवाया था हल्द्वानी का आर्य समाज भवन

[पिछ्ला भाग: हल्द्वानी का प्राचीन मंदिर जिसकी संपत्ति का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा गया] सन 1901 में बाबू रामप्रसाद…

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हल्द्वानी का प्राचीन मंदिर जिसकी संपत्ति का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा गया

[पिछ्ला भाग: तब बची गौड़ धर्मशाला ही यात्रियों के लिए इकलौता विश्राम स्थल थी हल्द्वानी में – 1894 में बनी]…

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फतोड़ना कि गदोरना – अद्भुत है कुमाऊनी भाषा का शब्द भण्डार

भले कुमांउनी भाषा न होकर अभी तक बोली ही मानी जायेगी, क्योंकि न तो इस का मानकीकरण हुआ है और…

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उत्तराखण्ड पंचायत चुनाव: रागिनी बनीं सबसे कम उम्र की जनप्रतिनिधि

हल्द्वानी ब्लॉक की पनियाली ग्राम सभा से मात्र 21 साल 3 महीने की उम्र में ग्राम प्रधान का चुनाव जीतकर…

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अलविदा सुरेन्द्र पुंडीर भैजी

लिखा-पढ़ी से जुड़ा उत्तराखण्ड में कौन होगा जो इस शख़्स को नहीं जानता होगा. साहित्य-संस्कृति-पत्रकारिता का कोई भी आयोजन हो…

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मासी हाफ मैराथन : नीरज सिंह पांगती का फोटो निबंध

चौखुटिया से 12 किलोमीटर पहले रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर तल्ला गेवाड़ में एक छोटी सी बसासत है मासी. 20 अक्टूबर…

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