समाज

1940 के आसपास हल्द्वानी में केवल एक रेडियो हुआ करता था

भैरव मंदिर से आगे कि ओर जहाँ गुरुद्वारा है, उसके पीछे की गली जो कसेरा लाइन से दूसरी ओर मिलती…

5 years ago

इस तरह दीमकों ने चट कर दी हल्द्वानी के पुस्तकालय की किताबें

नैनीताल में दुर्गालाल साह पुस्तकालय की अलग पहचान है. इस पुस्तकालय की स्थापना 1914 में अंग्रेजों ने की थी. उसी…

5 years ago

इंटरनेट डेटा की ख़ुराक पर पलता मनमोहक फ़ासीवाद

इतिहासकार युवाल नोआ हरारी चेताते हैं कि फ़ासीवादियों को पहचानना आज इतना भी आसान नहीं है. वे हमेशा अपनी राक्षसी…

5 years ago

हल्द्वानी की सबसे पुरानी संगीत संस्था

[पिछली क़िस्त: जमरानी बाँध का अजब किस्सा ] बची गौड़ धर्मशाला से लगी मटरगली नाम से धीरे-धीरे एक बाजार विकसित…

5 years ago

हमें अपनी पहाड़ी भाषा बोलने में शर्म क्यों आती है

कुछ दस बजे का समय रहा होगा, कुछ चल्लों की फोटो खींचते-खींचते मै एक प्राथमिक स्कूल के पास से गुजर…

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जब कलकत्ता से दो हजार चाय के पौधों की पहली खेप कुमाऊं पहुंची

उत्तराखण्ड में चाय की खेती का इतिहास 150 वर्ष पुराना है. उत्तराखण्ड में भी चाय की खेती यूरोपियनों के आने…

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उत्तराखंड की लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने किया था यह शानदार कारनामा

नॅशनल ज्योग्राफिक द्वारा अपनी बहादुरी के लिए सम्मानित भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने साल 2018 में एक…

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अंग्रेजों के जमाने में उत्तराखंड के पुल

उत्तराखंड में अनेक नदियां बहती हैं और इन नदियों को पार करने के लिये यहां अनेक पुल हैं. पहाड़ी इलाकों…

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100 साल पुराना है धनाई मिष्ठान भण्डार का इतिहास

अल्मोड़ा में खीम सिंह-मोहन सिंह की बालमिठाई, तो श्रीनगर में धनाईजी के पेड़ों का जबा़ब नहीं है. दशकों पहले हनुमान…

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जमरानी बाँध का अजब किस्सा

[पिछली क़िस्त: हल्द्वानी में नहरों का जाल बिछाया था हैनरी रामजे ने]   कहा गया था कि जमरानी बाँध बनाने…

5 years ago