परम्परा

ऐड़ी: ऊंचे शिखरों पर रहने वाले लोक देवता

गांव में यह परम्परा थी कि जब भी गाय ब्याती (प्रसव) तो 22 दिन पूरे होने पर उस गाय का…

3 years ago

क्या पिछौड़ा, ऐपण, अल्पना आदि का ‘फैशन ट्रेंड’ सांस्कृतिक विरासत को प्रभावित करता है?

विरासतों का सृजनात्मक उपयोग और मौलिकता उत्तराखंड में महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला परिधान पिछौड़ा, परम्परागत रूप से कुमाऊं मूल …

3 years ago

आज पारम्परिक पकवानों की सुंगध बिखरेगी पहाड़ों में

आज उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला है. आज की सुबह हरेला काटे जाने के बाद सबसे पहले अपने इष्टदेव के…

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हरेले की पूर्व संध्या पर आज दिन ढलते की जाएगी डिकारे की पूजा

हरेले से एक दिन पहले कुमाऊँ अंचल में डिकारे पूजे जाते हैं. कुछ लोग पहले ही डिकारे तैयार कर लेते…

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हरेला लोकपर्व का पर्यावरण से संबंध

आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण सबंधित समस्याओं से जूझ रहा है. प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना मानव…

3 years ago

हनोल का महासू देवता मंदिर

देवभूमि उत्तराखण्ड को शिव का निवास माना गया है. यहां भगवान शिव को कई रूपों में पूजा जाता है. हिमाचल…

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फसल का पहला भोग इष्टदेव को लगाने की परम्परा: नैंनांग

हमारे पहाड़ों में नैंनांग देने की एक परम्परा है. नई फसल का पहला भोग अपने इष्टदेव को चढ़ाने का रिवाज…

3 years ago

देवता को बलि दिए जाने वाले मेमने के कान में क्या मंत्र फूंका जाता है

मंदिर में रखी पत्थर की मूर्तियों पर पानी छिडका जाता है और प्रार्थना की जाती है —“परमेश्वर खुश हो जा,…

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घ्वीड़ संग्रान्द : एक पारम्परिक उत्तराखंडी त्यौहार

आज ज्येष्ठ मास की संक्रांति है. लगभग हर मास की संक्रांति को हमारे पहाड़ में किसी न किसी त्यौहार के…

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पिथौरागढ़ की असुराचूल चोटी में असुर देवता का मंदिर

उत्तराखंड में देवी-देवताओं को ही नहीं असुरों व दानवों की भी पूजा की जाती है. यहां देवताओं की तरह पूजे…

3 years ago