इतिहास

अपने गांव फिर आना प्यारी दीदी, प्यारी बेटी: गंगोत्री गर्ब्याल की याद

गंगोत्री गर्ब्याल की आत्मकथा ‘यादें’ की भूमिका में-डा. आर.एस.टोलिया के लिखा है - ‘‘प्रसिद्ध इतिहासविद् डा. शिव प्रसाद डबराल ने…

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आज से नब्बे साल पहले भी भारत में स्कूली शिक्षा का गढ़ था नैनीताल

1928 में नैनीताल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जे. एम. क्ले द्वारा एक किताब ‘नैनीताल: अ हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव अकाउंट’ प्रकाशित…

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जन्मदिन विशेष: उत्तराखण्ड के नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली

वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली (25 दिसम्बर, 1891 - 1 अक्टूबर 1979) भारत सरकार ने 1994 में उनकी फोटू वाला एक डाक…

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ऐतिहासिक द्वाराहाट में ईसाईयत की सांझी विरासत की अमिट छाप

आजकल प्रायः कुमाऊँ इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए उल्लेख होने वाले द्वाराहाट नगर के सम्बन्ध में किवदंती रही है कि कुमाऊँ…

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क्रिसमस ट्री : सिर्फ पेड़ नहीं, परम पिता परमेश्वर में हमारी आस्था व विश्वास का प्रतीक

क्रिसमस का त्यौहार आ गया है. आइए, आज ‘क्रिसमस ट्री’ की बात करते हैं. (Christmas tree Deven Mewari) क्रिसमस ट्री…

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हल्द्वानी को खानपान की नई परंपरा से जोड़ने वाला सिंधी समाज

हल्द्वानी में जिस तेजी से हर समाज ने पनाह ली है उसी तेजी से उनके आहार व्यवहार रीति-रिवाज का प्रभाव…

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पहले हल्द्वानी के खेतों, बगीचों में जंगली जानवर घूमा करते थे, अब अलग-अलग नस्ल के कुत्ते भौंका करते हैं

आज स्थिति बिल्कुल अलग हो गई है पूरा हल्द्वानी और उसके आसपास के मीलों तक फैले गांव फतेहपुर, लामाचौड़, लालकुआं…

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हल्द्वानी में सबसे पहला चर्च रोडवेज बस स्टेशन के पास था

बरेली के मिशनरी प्रचारक विलियम बटलर ने पहाड़ में मिशनरी का खूब प्रचार किया था. फतेहपुर के पास ईसाई नगर…

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पीली कोठी, जज फ़ार्म और हल्द्वानी के बाकी मोहल्लों के नाम रखे जाने की कहानी

हल्द्वानी में पीली कोठी एक बड़ा क्षेत्र है लेकिन इसकी शुरुआत एक कोठी से हुई थी. इलाहाबाद से होम्योपैथिक डॉक्टर…

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एक समय था जब भाबर में बसने के लिए सरकारी सहयोग मिलता था

यहां भाबर के लिए एक शब्द अक्सर प्रयोग में लाया जाता है भबरी जाना, यानि खो जाना. यह बात पहले…

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