कॉलम

समाचारों के प्रस्तुतीकरण के वैचारिक चरित्र

पत्रकारिता की पाठ्यपुस्तकों में यह बताया जाता है कि हर समाचार में ‘कौन’, ‘क्या’, ‘कब’, ‘कहां’, ‘क्यों,’ और ‘कैसे’- का…

6 years ago

कुमाऊं की रामलीला से कुछ झलकियां

कुमाऊं की रामलीला बहुत चर्चित रही है. देश को अनेक रंगकर्मी इस रामलीला ने दिए. बी एल शाह, बी एम…

6 years ago

अभी क्या हाल है हमारी पृथ्वी का

आइए, जरा अपनी पृथ्वी पर नजर डालें. यह विशाल सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है. इसमें…

6 years ago

जग्गा डाकू का पहला सबक

मेदिनीधर के बड़े भाई थे, वंशीधर. वंशीधर भाई पढ़ने में बहुत होशियार थे. न जाने कब उन्हें उपन्यास पढ़ने की…

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उत्तराखण्ड की एक बीहड़ यात्रा की याद – 2

इस ट्रैवलाग ने एलानिया कहानी बनने की तरफ पहला गोता मार दिया है. लेकिन मैं इसे पूरी ताकत लगाकर कहानी…

6 years ago

लेकिन राम आडवाणी अब कहां मिलेंगे? किताबें तो कोई भी बेच लेगा

हम उन्हें राम भाई कहते थे. “राम भाई,” मई 2011 में एक दिन मैंने उन्हें फोन किया था- “साबरी ब्रदर्स…

6 years ago

कहां से आती हैं परियां?

अच्छा दोस्तो, पहले यह बताओ- क्या तुमने कभी कोई परी देखी? नहीं? लेकिन, मैंने देखी है! चौंक गए ना? जब…

6 years ago

उत्तराखण्ड की एक बीहड़ यात्रा की याद – 1

मुझे आजकल लगता है कि मैं कोई जमाने से यहीं खड़ा, हवा चले न चले सिर पटकता पेड़ हूं. या…

6 years ago

काफल पाक्यो, मील नी चाख्यो

इन दिनों जब घाम थोड़ा सा गुनगुना हो जाता है. बर्फ पहाड़ों से उतर कर गधेरों में भर जाती है.…

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बारह बरस बाद कुरिंजी की बहार

दक्षिण भारत में बारह वर्ष बाद फिर बहार के दिन आ गए हैं. पश्चिमी घाट की ऊंची पहाड़ियों पर प्रकृति…

6 years ago