कॉलम

माफ़ करना हे पिता – 4

(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 3) उन्हीं दिनों कभी मैंने पिता से पूछा कि क्या इंदिरा गांधी तुमको…

7 years ago

रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 4

(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 3) वेदनी बुग्याल को पार करते हुए…

7 years ago

रामी बुढ़िया ( लोककथा )

एक गांव में रामी नाम की बुढिया रहती थी, उसकी बेटी का विवाह दूर एक गांव में हुआ था जहाँ…

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सूरज की मिस्ड काल – 8

धूप का चौकोर टुकड़ा सुबह का समय है. कमरे के बाहर बरामदे में धूप का चौकोर टुकड़ा अससाया सा लेटा…

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कहो देबी, कथा कहो – 2

पिछली कड़ी वे संगी-साथी हां तो सुनो, कक्षा में मेरे एक-दो दोस्त बन गए, लेकिन निवास पर मैं अलग-थलग-सा पड़…

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माफ़ करना हे पिता – 3

(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 2) एक दिन सुबह के वक्त मैं खेलता हुआ मकान मालिक के आँगन…

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रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 3

(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 2) सुनसान बुग्याल में मुझे दो युवा…

7 years ago

तुझे वहां से भला कैसे लेकर आऊंगा

बहन ने कहा -चंद्रभूषण पानी खींचने की प्रतियोगिता चल रही थी कोई विजेता खड़ा था, जिसका नाम भूल गया फिर…

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प्रेमचंद की याद

हिंदी भाषा के सबसे बड़े रचनाकार के रूप में आज भी प्रेमचंद की ही मान्यता है. हिंदी गद्य को आधुनिक…

7 years ago

सिंसूण अर्थात बिच्छू घास की कथा

मध्य हिमालय के उत्तराखंड में बसा पौराणिक मानसखंड कुमाऊँ मंडल तथा केदारखंड गढ़वाल मंडल जो अब उत्तराखंड के नाम से…

7 years ago