कॉलम

सिंसूण अर्थात बिच्छू घास की कथा

मध्य हिमालय के उत्तराखंड में बसा पौराणिक मानसखंड कुमाऊँ मंडल तथा केदारखंड गढ़वाल मंडल जो अब उत्तराखंड के नाम से…

6 years ago

माफ़ करना हे पिता – 2

(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 1) इसी कोठरी में मुझसे तीनेक साल छोटी बहन लगभग इतनी ही उम्र…

6 years ago

रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 2

(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 1) मेरे पहुँचते ही मुझे चाय मिल…

6 years ago

क्या एक गमले की मिट्टी काफ़ी है इस वैभव को सींचने में

फ़ीके रंग वाला फूल कितने आक्रामक लगते है ये चटख रंग. कांच के टुकड़ों की तरह आँखों में घुसे जाते…

6 years ago

खुद को जवाब दो लड़कियो और मिलकर नई राह ढूंढो

मैं तय करती हूं कि तुम मेरे सार्त्र बनने के लायक नहीं - मनीषा पाण्डेय     वैसे इस सत्‍य से…

6 years ago

सिटौला और घुघुता

वैसे तो ऊपर के चित्र में दिख रही चिड़ियां कुमाऊँ में बहुतायत से पाई जाती हैं और इनके कॉटेज मैना…

6 years ago

माफ़ करना हे पिता – 1

सभी के होते हैं, मेरे भी एक (ही) पिता थे. शिक्षक दिवस सन् २००१ तक मौजूद रहे. उन्होंने ७१-७२ वर्ष…

6 years ago

रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा – 1

रूपकुंड की रहस्यमयी झील के बारे में मैं बहुत किस्से सुने चुकी हूँ. खासकर की झील के चारों ओर बिखरे…

6 years ago

कहो देबी, कथा कहो – 1

[वरिष्ठ लेखक देवेन्द्र मेवाड़ी के संस्मरण और यात्रा वृत्तान्त आप काफल ट्री पर लगातार पढ़ते रहे हैं. पहाड़ पर बिताए…

6 years ago

बज्जर किस्म के शिकायती भाई साहब !

भाई साहब से मेरी जान-पहचान इनके बचपन से है. जैसे किसी व्यक्ति के भीतर प्रेम, करुणा तथा दया अथवा झूठ,…

6 years ago