मध्य हिमालय के उत्तराखंड में बसा पौराणिक मानसखंड कुमाऊँ मंडल तथा केदारखंड गढ़वाल मंडल जो अब उत्तराखंड के नाम से…
(पिछली क़िस्त: माफ़ करना हे पिता - 1) इसी कोठरी में मुझसे तीनेक साल छोटी बहन लगभग इतनी ही उम्र…
(पिछली क़िस्त का लिंक - रहस्यमयी झील रूपकुंड तक की पैदल यात्रा - 1) मेरे पहुँचते ही मुझे चाय मिल…
फ़ीके रंग वाला फूल कितने आक्रामक लगते है ये चटख रंग. कांच के टुकड़ों की तरह आँखों में घुसे जाते…
मैं तय करती हूं कि तुम मेरे सार्त्र बनने के लायक नहीं - मनीषा पाण्डेय वैसे इस सत्य से…
वैसे तो ऊपर के चित्र में दिख रही चिड़ियां कुमाऊँ में बहुतायत से पाई जाती हैं और इनके कॉटेज मैना…
सभी के होते हैं, मेरे भी एक (ही) पिता थे. शिक्षक दिवस सन् २००१ तक मौजूद रहे. उन्होंने ७१-७२ वर्ष…
रूपकुंड की रहस्यमयी झील के बारे में मैं बहुत किस्से सुने चुकी हूँ. खासकर की झील के चारों ओर बिखरे…
[वरिष्ठ लेखक देवेन्द्र मेवाड़ी के संस्मरण और यात्रा वृत्तान्त आप काफल ट्री पर लगातार पढ़ते रहे हैं. पहाड़ पर बिताए…
भाई साहब से मेरी जान-पहचान इनके बचपन से है. जैसे किसी व्यक्ति के भीतर प्रेम, करुणा तथा दया अथवा झूठ,…