कॉलम

क्रिकेट के पुछल्लों के कारनामे

ऐसा कई बार हुआ है कि बोलिंग टीम सामने वाली के छक्के छुड़ा कर शुरुआती छः-सात विकेट सस्ते में निबटा…

6 years ago

रोटी के साथ उम्मीद भी जुटानी पड़ती है

सड़क चलता कोई व्यक्ति एक्सिडेंट का शिकार हो जाए, इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं होती. लेकिन इस दुर्घटना का चौतरफा…

6 years ago

कब बन जाते हैं आदमी के दो चेहरे

इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार – पंद्रहवीं क़िस्त क्या आपने इलाचंद्र जोशी के ‘प्लेंचेट’ और परामनोविज्ञान का…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 56

  पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम…

6 years ago

हम फिर से उसी थकान से भर जाते हैं

किसी को जानो तो बस इतना ही जानना कि कोई और भी दिखे तो उसके होने का भ्रम होता रहे…

6 years ago

अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 11

गुडी गुडी डेज़ (हीरामन- हीराबाई संवाद; नाम में क्या रक्खा है) अमित श्रीवास्तव हीराबाई- हीराबाई हीरामन- हीरामन हीराबाई- आह! हीरा!…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 55

  पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम…

6 years ago

सर्दियों का बिनसर

सर्दियों की ऋतु हो और आप बिनसर में हों तो क्या कहने! बिनसर की शामों की सोने सी रोशनी, रात के आसमान…

6 years ago

मेहमान बनने का शौक

उसे जान-पहचान में मेहमान बनने का बहुत शौक था. वह इतना भी जरूरी नहीं समझता था कि जान-पहचान बहुत गहरी…

6 years ago

कहो देबी, कथा कहो – 20

निर्माण के दिन वर्ष भर बाद 1970 में ‘किसान भारती’ मासिक के संपादक रमेश दत्त शर्मा के विश्वविद्यालय छोड़ देने…

6 years ago