कॉलम

दूसरे की थाली पर नजर रखने वाले

कुछ लोग होते हैं, जो अपनी क्षमता तथा सामर्थ्य के अनुसार अपने जीवन की बेहतरी की कोशिश करते हैं. इसमें…

6 years ago

चेकोस्लोवाकिया के भूत-भिसौणों के किस्से

भूत-प्रेत और उनके अस्तित्व और उनके बारे में प्रचलित बेहद रचनात्मक किस्से-कहानियां बचपन से ही मुझे बहुत आकर्षित करते रहे…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 73

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

एक चमत्कारी पौधा सिसूण, कनाली उर्फ़ बिच्छू घास

मेरे बचपन की सुनहरी यादों में से कई गर्मियों के सालाना प्रवास से जुड़ी हैं. उन दिनों सभी प्रवासियों के…

6 years ago

अपने समय के सुपरस्टार्स को जेब में लेकर घूमते थे कादर खान

एक ज़माना था जब कादर खान को एक फिल्म लिखने के अमिताभ बच्चन से ज़्यादा पैसे मिलते थे. सत्तर और…

6 years ago

देबी के बाज्यू आये पंतनगर

कहो देबी, कथा कहो – 25 पिछली कड़ी:कहो देबी, कथा कहो – 24, पंतनगर में दुष्यंत कुमार और वीरेन डंगवाल…

6 years ago

नए साल का कैलेण्डर, पतझड़ और मौसमे-बहार वगैरह

सभी को पता है फिर भी बताना ठीक रहता है कि नया साल आ गया. अपना मकसद नये साल की…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 72

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

और इस तरह रातोंरात मैं बुद्धू बच्चे से बना एक होशियार बालक

पहाड़ और मेरा बचपन – 14 (पिछली क़िस्त : और इस तरह जौ की ताल ने बचाई इज्जत, मैंने मां…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 71

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago