कॉलम

कुमाऊंनी रायता फैल गया

सुन लो हे मेरे चटोरे पाठको. हम न तो गोरे अंग्रेजों की तरह हैं,जो पूरी जिंदगी वो पास्ता-वास्ता, पिज्जा-विज्जा, टोस्ट-पोस्ट…

5 years ago

बद्रीदत्त कसनियाल- जिनके सान्निध्य में कब पत्रकार बना, पता ही न चला

पहाड़ और मेरा जीवन -44 पिछली क़िस्त : पहाड़ों में पैदल चलने के बिना जिंदगी का जायका ही क्या जो…

5 years ago

शिव की अति प्यारी विजया

विजया अर्थात संस्कृत में भंगा, मदकारिणी, मादनी, बंगाली में सिद्धि भांग, फ़ारसी में कनब, बंग,अरबी में किन्नाब व मराठी, गुजराती…

5 years ago

पंथी हूँ मैं उस पथ का अंत नहीं जिसका: किशोर कुमार जन्मदिन विशेष

उनके बड़े भाई बताते थे कि आभास को बचपन में बड़ी बुरी चोट लग गयी थी पैर में.घाव से बेइंतहा…

5 years ago

ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े

ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े… ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े तुझपे सवार है जो, मेरा सुहाग…

5 years ago

ख़ाकी मर्ज, फ़र्ज़ और कर्ज़ की खिचड़ी है

युधिष्ठिर सरोवर में लोटा डुबाने ही वाले थे कि बगुला रूपी यक्ष प्रकट हुए और अपनी चिर-परिचित प्रश्नोत्तरी प्रस्तुत की. …

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1940 के दशक में पिथौरागढ़ की भवन निर्माण शैली

1940 के दशक में पिथौरागढ़ कस्बे और इसके आस-पास सड़क नहीं थी. इस इलाके के दूरदराज तक के गाँव संकरी…

5 years ago

जागेश्वर में बानर का स्वांग करने वाले लड़के से सुनिये युवा पहाड़ियों की कहानी

हाँ, सौंणन में खूब रेलमपेल रहने वाली ठेरी फीर. वो मंदिर से यहाँ कुबेर जी के मंदिर तक दिनमान भर नब्बे-सौ चक्कर…

5 years ago

मध्य देशों से कुमाऊं-गढ़वाल के घरों में कैसे पहुंची नाक की नथुली

उत्तराखंड में महिलाओं के आभूषण किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं. इन्हीं आभूषणों में एक नाक की नथ या…

5 years ago

होशियार व्यापारी वही है जो ग्राहक को होश में न आने दे

बहुत दिनों बाद रक्षा बंधन की छुट्टियों में भोगीलाल जी से मिलना हुआ. चर्चा चल निकली. मैंने कहा कि ये…

5 years ago