चंद्रशेखर बेंजवाल

जखिया: पहाड़ का अद्भुत तड़का

मेरे एक मित्र मजाक में कहा करते हैं कि अगर कोटद्वार या ऋषिकेश से दिल्ली जा रही किसी बस की…

5 years ago

कुमाऊंनी रायता फैल गया

सुन लो हे मेरे चटोरे पाठको. हम न तो गोरे अंग्रेजों की तरह हैं,जो पूरी जिंदगी वो पास्ता-वास्ता, पिज्जा-विज्जा, टोस्ट-पोस्ट…

5 years ago

विकराल भूत भी डरते हैं सिसौणे की सब्जी से

सिसौण कहो या कंडाली- ये सब्जी हिम्मत वाली इस बार के पहाड़ी जायके को पढ़ने से पहले अपने अंदर हिम्मत…

5 years ago

पहाड़ी खून में है पहाड़ी नूण

अपना मित्र और पूर्व में सहकर्मी रहा शमशेर नेगी एक बड़ी मजेदार बात कहा करता है- "जिसने नहीं खाया पहाड़ी…

5 years ago

एक चिलम गांजा और बीच झूला पुल में

बात उन दिनों की है, जब मेरी नालायकी और कुसंग से मेरा परिवार आजिज आ चुका था. मां की नसीहत…

5 years ago

बड़े-बड़े गुण वाला बड़ी का साग

हिमाचल वाला किस्सा यहां भी दोहराया गया. फर्क सिर्फ ये है कि शिमला में शर्मा जी थे और यहां हल्द्वानी…

5 years ago

सैणी हो या मैंस, सबकी पसंद चैंस

चैंस कह लो, चैंसा या फिर चैंसू. नाम अलग-अलग अंचलों में कुछ फर्क के साथ अलग हों, लेकिन इसका स्वाद…

5 years ago

भांग की चटनी – चटोरे पहाड़ियों की सबसे बड़ी कमजोरी

चंदू की चाची को चांदनीखाल में चटनी चटाई जूनियर कक्षाओं में बाल मंडली ने अनुप्रास अलंकार का एक घरेलू उदाहरण…

5 years ago

तब ऐसी ईमानदारी थी हल्द्वानी में

दो दिन पहले एक मित्र का एक दुकान में कुछ सामान खरीदने के दौरान पर्स छूट गया. मेरे मित्र दोबारा…

5 years ago

स्वादिष्ट होने के साथ ही पथरी का अचूक इलाज भी है गहत की दाल का फाणा

बचपन के उन दिनों गांव से आने वाला कोई परिजन या अन्य ग्रामीण जब घर से आई समौण (सौगात) के…

5 years ago