कॉलम

पहाड़ के जनमानस में बेहद जरूरी हिस्से की तरह स्थापित है वनों की सम्पदा

वनस्पति जगत से मैत्री सम्बन्ध बने, आस्था के प्रतीक रूप में जीवंत हुए. तुलसी, पीपल में जल चढ़ा तो उसकी…

4 years ago

खजूरे, गुड़पापड़ी, खिरखाजे और च्यूड़े – पहाड़ का पारम्परिक फास्ट फूड

पिज्जा, बर्गर और फास्ट फूड के इस दौर में यदि उत्तराखण्ड के परम्परागत व्यंजनों की बात करें तो आधुनिक पीढ़ी…

4 years ago

नैनीताल की ठंडी सड़क, कॉलेज के वे दिन और ठंड में मूँगफली खाना

"चाँद के उस पार चलो" फिल्म टेलीविजन पर चल रही है. फिल्म के अन्तिम दृश्य नैनीताल के मैदान में फिल्माया…

4 years ago

उत्तराखण्ड बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों के लिये निःशुल्क कक्षाएं – एक बहुत सराहनीय पहल

राजकीय शिक्षक संघ व माध्यमिक संघ की नैनीताल इकाईयां पिछले वर्षों की तरह इस साल भी 10वीं व 12वीं कक्षा…

4 years ago

आज पहली बार तुमने मेरी आंखों में आंखें डाल के देखा

4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 36  (Column by Gayatree arya 36) पिछली किस्त का लिंक:  शारीरिक आकर्षण…

4 years ago

एक समय था जब भाबर में बसने के लिए सरकारी सहयोग मिलता था

यहां भाबर के लिए एक शब्द अक्सर प्रयोग में लाया जाता है भबरी जाना, यानि खो जाना. यह बात पहले…

4 years ago

‘बाखली’ जोड़कर रखती है परिवार, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को एक साथ

एक जाति-बिरादरी के लोग एक दूसरे से जुड़े एक कतार में घर बनाते तो इसे बाखली कहा जाता. बाखली के…

4 years ago

‘पलायन एक चिंतन’ समूह का पर्वतीय आजीविका उन्नयन कार्यक्रम

हर व्यक्ति का अपने मूल, विशेषकर जन्मस्थान के साथ बड़ा भावनात्मक जुड़ाव रहता है. मेरा जन्म उत्तराखंड के जनपद पौड़ी…

4 years ago

गरीब के गुरूर को मत जगाना कभी, मैंने चश्मे वाले को यूं दी जबर धमकी

पहाड़ और मेरा जीवन – 60 (पिछली क़िस्त: वह भी क्या कोई उम्र थी पिताजी ये दुनिया छोड़कर जाने की)…

4 years ago

अपने अंतिम दिनों में शैलेश मटियानी

लेखककीय अस्मिता और स्वाभिमान के मूल्य पर कभी समझौता ना करने वाले शैलेश मटियानी पहले अल्मोड़ा में दिखाई देते थे.…

4 years ago