कला साहित्य

लोककथा : पैसा सबकुछ कर सकता है

एक बार एक बहुत रईस शहजादे ने राजा के महल के ठीक सामने उससे भी शानदार एक महल बनवाने का…

3 years ago

कहानी : रुका हुआ रास्ता

घास-पात से निबटकर गोमती भैंस हथियाने गोठ गई हुई थी. असाढ़-ब्याही भैंस थी. कार्तिक तक तो ठीक चलती रही, मगर…

3 years ago

प्रेत-मुक्ति : शैलेश मटियानी की कहानी

केवल पांडे आधी नदी पार कर चुके थे. घाट के ऊपर के पाट में अब, उतरते चातुर्मासा में सिर्फ घुटनों…

3 years ago

कहानी : बगावत की वजह

एक कस्बा था जहाँ सारी चीजों की मनाही थी. (Story Bagawat Ki Wajah) अब चूँकि सिर्फ गुल्ली-डंडा का खेल ही…

3 years ago

आवारा भीड़ के खतरे : हरिशंकर परसाई

एक अंतरंग गोष्ठी सी हो रही थी युवा असंतोष पर. इलाहाबाद के लक्ष्मीकांत वर्मा ने बताया - पिछली दीपावली पर…

3 years ago

एक मध्यमवर्गीय कुत्ता : हरिशंकर परसाई

मेरे मित्र की कार बँगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा, 'इनके यहाँ कुत्ता तो नहीं है?' मित्र ने…

3 years ago

कहानी : छाता

बसंत ऋतु की बारिश चीजों को भिगोने के लिए काफी नहीं थी. झीसी इतनी हलकी थी कि बस त्वचा थोड़ा…

3 years ago

आखिरी पत्ता

-ओ हेनरी वाशिंगटन चौक के पश्चिम की ओर एक छोटा-सा मुहल्ला है जिसमें टेढ़ी-मेढ़ी गलियों के जाल में कई बस्तियां…

3 years ago

लोककथा : कैदी

-ओ. हेनरी जीवन के सुख-दुख का प्रतिबिंब मनुष्य के मुखड़े पर सदैव तैरता रहता है, लेकिन उसे ढूँढ़ निकालने की…

3 years ago

फूलो का कुर्ता : यशपाल की कहानी

हमारे यहां गांव बहुत छोटे-छोटे हैं. कहीं-कहीं तो बहुत ही छोटे, दस-बीस घर से लेकर पांच-छह घर तक और बहुत…

3 years ago