देहरादून में शिवालिक पहाड़ी की उत्तरी ढलान पर चन्द्रबनी नाम का गांव है. पौराणिक कथाओं के अनुसार चन्द्रबनी के आसपास ही महर्षि गौतम और उनकी पुत्री अंजनी रहते थे. स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां स्थित गौतम कुंड में सबसे पहली बार गंगा पृथ्वी में अवतरित हुई और यही गौतम ऋषि की पुत्री अंजना ने तपस्या की और हनुमान जी को जन्म दिया.
(Birth Place of Hanuman Uttarakhand)
यहां एक चन्द्रबनी मां का मंदिर भी है जहां प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती को विशेष पूजा होती है. केदारखंड में चंद्रबनी के इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. यहीं गौतम ऋषि गंगा को भी लेकर आए थे, तब से अब तक यहां कुंड से स्वत: निकलने वाले पानी को गंगा का रूप मानकर पूजन-स्नान आदि किया जाता है.
ज्योतिषीयों के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले त्रेतायुग के अन्तिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखण्ड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था.
(Birth Place of Hanuman Uttarakhand)
इसके अतिरिक्त हनुमान जी की जन्मस्थली के विषय में कर्नाटक और आंध्रप्रदेश द्वारा दावे किये जाते हैं. कर्नाटक के अनुसार हनुमान की जन्मस्थली अन्जनेया की पहाड़ी के पास स्थित किसकिन्दा (हम्पी के पास) है. वहीं आंध्रप्रदेश का दावा है कि अन्जनेया की पहाड़ी, वहां स्थित तिरुमाला की सात पहाड़ियों में से एक है. वाल्मिकी रामायण के आधार पर यह भी दावा किया जाता है कि हनुमान की वास्तविक जन्मस्थली कर्नाटक में स्थित गोकर्णा है.
इन सभी के अतिरिक्त उत्तराखंड में स्थित गौतम कुंड को हनुमान की जन्मस्थली माना जाता है. यहां माना जाता है कि गौतम ऋषि की पुत्री अंजनी ने अपने पिता के आश्रम में तप किया और उनके तप के बल से ही हनुमान जी का जन्म हुआ था. तपस्या के बाद वह आश्रम छोड़कर चली गयी थी.
(Birth Place of Hanuman Uttarakhand)
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