[जल्द ही उत्तराखण्ड स्थापना दिवस आने वाला है. इस अवसर पर हम देश-दुनिया में रह रहे उत्तराखण्ड के उद्यमी युवाओं पर एक विशेष श्रृंखला शुरू कर रहे हैं जिन्होंने अपने हौसलों और परिश्रम से बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. – सम्पादक. Bipin Badoni Success Story
इस बात की कल्पना कर पाना थोड़ा सा मुश्किल है कि 25 साल का एक लड़का किसी मल्टीनेशनल कम्पनी की नौकरी को छोड़कर अपने गांव लौट आये और खेती को अपना रोज़गार बना ले. Bipin Badoni Success Story
किसी फिल्म की बेसिक स्क्रिप्ट लगने वाली यह घटना उत्तराखंड के एक युवा की है जिसका नाम है बिपिन बड़ोनी. टिहरी गढ़वाल के रहने वाले बिपिन बड़ोनी के पिता सतीश बड़ोनी सरकारी महकमें में नौकरी करते हैं और उनकी माता शैला बड़ोनी गृहणी हैं.
एक सामान्य दम्पति की तरह ही बड़ोनी दम्पति ने भी अपने मझले बेटे को बायोटैक का कोर्स कराया. बेटे ने भी अपने माता पिता के सपनों को साकार करते हुये कोर्स के बाद मल्टी नेशनल कम्पनी में नौकरी हासिल की.
ओमिक्स, एच.सी.एल. जैसी बड़ी मल्टी नेशनल कम्पनियों में नौकरी के बाद बिपिन ने नौकरी और पहाड़ के जीवन के बीच पहाड़ को चुना और 2017 से अपने गांव घनसाली लौट आये.
काफल ट्री से बातचीत के दौरान बिपिन बताते हैं कि
एच.सी.एल में नौकरी के दौरान मैंने मशरूम गर्ल के नाम से ख्यातिप्राप्त दिव्या रावत के बारे में सुना. मुझे उनकी सक्सेस स्टोरी ने बहुत प्रभावित किया. मैंने देहरादून में उनसे मुलाक़ात की और ट्रेनिग ली. ट्रेनिग के दौरान ही मुझे एक बात जो समझ आई वह यह कि ट्रेनिग ने काफ़ी लोग लेते हैं लेकिन टिकते सभी नहीं है लेकिन मैं जान चुका था कि मैंने क्या करना है.
अपने शुरुआती सफ़र के विषय में बिपिन बताते हैं कि ग्राफ़िक ऐरा जैसे बड़े कॉलेज से बायोटेक्नोलॉजी का कोर्स और फिर एक अच्छी बड़ी कम्पनी में नौकरी करने के बाद मशरूम की खेती का मेरा फ़ैसला किसी को रास नहीं आया. मेरे पिताजी इसके विरोध में थे. गांव में न जाने के कितने लोग थे जिन्होंने मेरे फैसले का मजाक उड़ाया हां मेरी माँ ने हमेशा मुझे सपोर्ट किया. आज सभी मेरे फ़ैसले को सही बताते हैं. Bipin Badoni Success Story
बिपिन ने 2017 से अपने गांव घनसाली में मशरूम कल्टीवेशन की शुरुआत की थी और 2018 के शुरुआती महिनों में अपने गांव में लैब बना ली थी. लैब बनाने के लिये उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत लोन लिया. स्थानीय प्रशासन के सहयोग के संबंध में वह कहते हैं कि
मुझे स्थानीय प्रशासन ने पूरा सहयोग किया. मुझे लगता है कि जब आप अपना कोई काम अच्छे तरीके से प्रशासन के सामने ले जाते हैं तो प्रशासन आपकी पूरी मदद करता है.
आज के दिन बिपिन ने हिमवंत बायोटेक मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कम्पनी चला रहे हैं. आज अपनी कम्पनी के माध्यम से बिपिन 10 से 12 लोगों को नियमित रोजगार दे रहे हैं. अपनी यूनिट के अतिरिक्त बिपिन 5 से 7 यूनिट में पार्टनरशिप पर काम कर रहे हैं. बिपिन बताते हैं कि धरातल में काफ़ी काम हो रहा है मेरे अलावा आस-पास के क्षेत्रों में सुरजीत सिंह नेगी और अर्जुन सिंह भी मशरूम कल्टीवेशन का काम कर रहे हैं. सुरजीत और अर्जुन दोनों ने ही देहरादून के शिवालिक कॉलेज से सिविल में इंजीनियरिंग की है. दोनों ही वर्तमान में अपने-अपने गांवों में रहकर न केवल स्वयं के लिये बल्कि अन्य के लिये भी रोजगार पैदा कर रहे हैं.
काफल ट्री की टीम की ओर से भविष्य के लिये अनेक शुभकामनाएं. आप बिपिन से उनके ओरगेनिक मशरूम उनके फेसबुक पेज (Mycelia) से मंगा सकते हैं. फ़िलहाल बिनोद और उसकी टीम की मेहनत की कुछ तस्वीरें देखिये :
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