समाज

उत्तराखण्ड के पारम्परिक लोक पर्व को पुनर्जीवित करने हेतु भाव राग ताल की कार्यशाला

भाव राग ताल नाट्य अकादमी पिथौरागढ़ द्वारा ओएनजीसी के सहयोग से पिथौरागढ़ जिले के दो गांव बसौड़ और बोकटा में कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें उत्तराखण्ड के पारम्परिक लोक पर्व जैसे हिलजात्रा एवं सातू-आठूं को नया रूप देने एवं आधुनिक समय में विलुप्त हो रही इस परम्परा को पुनर्जीवित करने हेतु लोगों को जागरूक किया गया. इस कार्यशाला में दोनों गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया एवं टीम को कार्यशाला आयोजित करने में भरपूर योगदान दिया.
(Bhava Rag Tal Workshop)

ओएनजीसी के सहयोग से चल रहे इस कार्यशाला में भाव राग ताल नाट्य अकादमी ने वैश्विक महामारी कोरोना कोविड-19 के चलते सभी नियमों का पालन करते हुए कार्यशाला आयोजित की, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए फेस मास्क बांटे गए साथ ही सैनिटाइजेशन किया गया, जिससे लोग इस महामारी से सतर्क रहें.

अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने हेतु लोग बेहद उत्साहित हुए. संस्था ने टीम को दो हिस्सों में बांट कर दोनों गांव में कार्यशाला आयोजित की. बसौड़ गाँव के लोगों से मिली जानकारी के अनुसार उनके गाँव में विगत 15 वर्षों से हिलजात्रा का आयोजन नहीं हो रहा था, लोगों के अनुसार एक समय में बसौड़ गाँव में हिलजात्रा देखने योग्य होती थी लोग दूर-दूर गाँव से देखने आते थे लेकिन आधुनिकीकरण और रोजगार के लिए लोगों का पलायन होता गया जिससे लोक परम्परा विलुप्त होने की कगार पर आ खड़ी हो गयी.

अगर मन में कुछ करने की लगन हो तो हर संभव प्रयास सफल हो जाता है, अपनी लोक पारम्परिक संस्कृति को बचाने के लिए सभी ग्रामवासीयों ने हर संभव सहयोग देने की सहमती व्यक्त की.
(Bhava Rag Tal Workshop)

संस्था ने कार्यशाला में ग्रामवासियों को आधुनिक मशीनों के द्वारा लकड़ी से बने मुखौटों की निर्माणविधि से प्रशिक्षित किया एवं विभिन्न प्रकार के हिलजात्रा पर्व में प्रयोग होने वाले मुखौटे जैसे बैल, हलिया, हिरण चीतल, लाटा-लाटी व महाकाली के मुखौटे तैयार किए गए. टीम के द्वारा गांव-गांव जाकर लोक पर्व हिलजात्रा एवं सातू- आठूं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की जैसे कि लोक गीत, लोक धुन एवं लोक गाथाओं का संकलन किया गया जो कि इस कार्यशाला का महत्वपूर्ण भाग है.

गांव में जाकर बुजुर्ग वर्ग से यह जानकारी ली गई, बुजुर्ग महिलाओं के द्वारा बताया गया कि बीते समय में गांव का माहौल ही लोक परंपराओं से हर्षो उत्साहित हो जाता था परंतु बदलते वक्त के साथ लोक परंपराएं तथा लोकगीत भी बदलते चले गए जो स्थान बीते समय में था वह आज नहीं रहा. धीरे-धीरे लोकगीत लोक परंपराएं अपना वर्चस्व खोने लगे, उन्हें सहेज कर रखने वाले लोग बुजुर्ग हो गए या कुछ रहे नहीं और नई पीढ़ी इस ओर आना नहीं चाहती.

कार्यशाला के आयोजन के दौरान गांव वालों में एक अलग उत्साह देखने को मिला जोकि अपने विलुप्त हो रही संस्कृति को जीवंत रखने के लिए था. गांव वालों के द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि कार्यशाला के दौरान टीम को पूरा सहयोग दिया जाएगा.
(Bhava Rag Tal Workshop)

मुखौटा निर्माणविधि के दौरान संस्था का उद्देश्य यह भी है कि इस महामारी में नव युवकों को मुखौटा निर्माण विधि का प्रशिक्षण गांव के बुजुर्ग कारीगरों के द्वारा दिया जाए ताकि नवयुवक मुखौटा निर्माण विधि का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार स्थापित कर सकें.

भाव ताल नाट्य अकादमी पहले से ही अपनी संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन का कार्य करती है जैसे लोकगीत, लोकधुन, लोकगाथाएं व लोकवाद्ययंत्र का संरक्षण व संकलन करना भी संस्था के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है. ओएनजीसी के सहयोग से संस्था दोनों गांव के हिलजात्रा के परंपरा को पुस्तक के माध्यम से प्रकाशित भी करेगी.

कार्यशाला की तस्वीरें देखिये :
(Bhava Rag Tal Workshop)

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

3 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

5 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

2 weeks ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago