समाज

वंशीनारायण मंदिर: उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जो साल में केवल एक दिन खुलता है

वंशीनारायण का मंदिर चमोली जिले की उर्गम घाटी के पास स्थित है. उर्गम घाटी से करीब 12 किमी की पैदल दूरी पर स्थित हैं वंशीनारायण मंदिर. समुद्र तट से 12 हजार फीट की ऊंचाई ओअर स्थित है वंशीनारायण मंदिर. वंशीनारायण एक ऐसा मंदिर जो साल में केवल एक दिन खुलता है वह भी पावन पर्व रक्षाबंधन के दिन.
(Bansi Narayan Temple Uttarakhand)

कलगोठ गांव में स्थित, कत्यूर शैली में बने इस मंदिर में भगवान नारायण की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है. दस फीट ऊंचे वंशीनारायण मंदिर के विषय में मान्यता है कि राजा बलि के द्वारपाल रहे विष्णु ने वामन अवतार से मुक्ति के बाद सबसे पहले इसी स्थान पर प्रकट हुये.

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के राजा बलि का द्वारापाल बनने से माता लक्ष्मी को अनेक दिनों तक उनके दर्शन न हुये. भगवान विष्णु के दर्शन न होने से परेशान माता लक्ष्मी उनके अनन्य भक्त नारद मुनि के पास गयी. नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को पूरी कहानी बता दी. माता लक्ष्मी ने परेशान होकर नारद मुनि से भगवान विष्णु की मुक्ति का उपाय पूछा. नारद मुनि ने माता लक्ष्मी से कहा कि वह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांधें और उपहार में राजा बलि से बामन अवतार रूपी विष्णु की मुक्ति मांगें.
(Bansi Narayan Temple Uttarakhand)

माता लक्ष्मी रक्षाबंधन के दिन राजा बलि के पास गयी और राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर भगवान विष्णु को मुक्त कराया. वंशीनारायण मंदिर के संबंध में मान्यता है कि पाताल लोक के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले इसी स्थान पर प्रकट हुये.         

वर्गाकार गर्भगृह वाले वंशीनारायण मंदिर के विषय में एक अन्य मान्यता यह है कि यहां वर्ष में 364 दिन नारद मुनि भगवान नारायण की पूजा करते हैं. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी के साथ नारद मुनि भी पातल कोक गये थे इस वजह से केवल उस दिन वह मंदिर में नारायण की पूजा न कर सके. माना जाता है कि तभी केवल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन स्थानीय लोग मंदिर में जाकर पूजा करते हैं.

प्रत्येक वर्ष स्थानीय महिलायें वंशीनारायण मंदिर आती हैं और भगवान को राखी बांधती हैं. यह माना जाता है कि वंशीनारायण मंदिर पांडवों के काल में निर्मित हुआ था.
(Bansi Narayan Temple Uttarakhand)

काफल ट्री डेस्क

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