बाकी बच गया अण्डा
– नागार्जुन
पाँच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूँखार
गोली खाकर एक मर गया, बाक़ी रह गए चार
चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीन
देश-निकाला मिला एक को, बाक़ी रह गए तीन
तीन पूत भारतमाता के, लड़ने लग गए वो
अलग हो गया उधर एक, अब बाक़ी बच गए दो
दो बेटे भारतमाता के, छोड़ पुरानी टेक
चिपक गया है एक गद्दी से, बाक़ी बच गया एक
एक पूत भारतमाता का, कन्धे पर है झण्डा
पुलिस पकड कर जेल ले गई, बाकी बच गया अण्डा
(1950 की रचना)
(Anda Poem Baba Nagarjun)
वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
बाबा नागार्जुन ने अपनी मातृभाषा मैथिली भाषा में भी अनेक रचनाएं कीं. अपनी मैथिली रचनाओं के लिए उन्होंने ‘यात्री’ उपनाम का प्रयोग किया.
बाबा नागार्जुन वर्ष 1911 में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ग्राम तरौनी, जिला दरभंगा, बिहार में जन्मे थे और अमूमन उनकी जन्मतिथि उस साल की ज्येष्ठ पूर्णिमा वाले दिन अर्थात 11 जून को मनाया जाता है. कल ज्येष्ठ पूर्णिमा थी और इस हिसाब से देखा जाय तो कल भी उनकी जन्मतिथि ही थी.
वर्ग संघर्ष बाबा नागार्जुन की कविता का मूल और स्थाई स्वर है. निर्धनता में पिस रहा मजदूर-किसान वर्ग उनकी समूचे रचनाकर्म की धुरी में देखा जा सकता है. उनके प्रतिनिधि कविता-संग्रह में ‘युगधारा’, ‘सतरंगे पंखों वाली’, ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘तालाब की मछलियाँ’, ‘तुमने कहा था’, ‘खिचड़ी विप्लव देखा हमने’, ‘हजार-हजार बाँहों वाली’, ‘पुरानी जूतियों का कोरस’, ‘रत्नगर्भ’, ‘ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या!’, ‘आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने’, ‘इस गुब्बारे की छाया में’ ‘भूल जाओ पुराने सपने’ और ‘अपने खेत में’ हैं. इनकी संकलित रचनाएँ सात खण्डों में प्रकाशित हैं.
5 नवम्बर 1998 को उनका देहावसान हुआ.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…