विभाजन के समय डॉ. मनमोहन सिंह और उनका परिवार हल्द्वानी में रहता था

4 years ago

इस बात पर कोई शक नहीं की इस देश के सबसे काबिल अर्थशास्त्रियों में एक नाम पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन…

कुछ यों होती थी हमारे बचपन की रामलीला

4 years ago

वो भी क्या दिन थे? कोई 12-13 बरस की उमर रही होगी. रामलीला हमारे गांव से 5 मील दूर भवाली…

इस जिस्म में छिपे हैं खजाने कमाल के

4 years ago

सोचो कि अगर किसी अनपढ़ को आई फोन का लेटेस्ट वर्जन आई 12 पकड़ा दिया जाए, तो वह क्या करेगा?…

उत्तराखंड का एक गांव जहां की रामलीला में हनुमान नहीं होते

4 years ago

उत्तराखंड के चमोली जिले में नीति घाटी में बसा एक गांव है द्रोणगिरी. द्रोणगिरी चमोली की जोशीमठ तहसील में आता…

डॉ. शेर सिंह पांगती: पुण्यतिथि विशेष

4 years ago

किसी भी अनजान क्षेत्र में जब आप घूमने जाते हैं तो पहले पहल लोग आपसे घुलते मिलते नहीं. ऐसे ही…

वाराही देवी: आदि शक्ति स्वरूपिणी मां के धाम का इतिहास

4 years ago

कूर्मांचल में काली कुमाऊँ लोहाघाट से हल्द्वानी जाने वाले सड़क मार्ग पर पेंतालिस किलो मीटर की दूरी पर पौराणिक धार्मिक…

यूं ही पहाड़ी संक्रांतियों को इतना महत्त्व नहीं देते हैं

4 years ago

क्या आपने कभी सोचा कि क्यों महीनों की संख्या 12 और राशियां भी 12 ही हैं! और हम अक्सर जिन…

गुलाबी धूप में सना हुआ नींबू खाने का आनन्द एक पहाड़ी ही बता सकता है

4 years ago

सर्दियों में दुनिया भर में अलग अलग जगह के लोगों के अलग-अलग शगल हुये हैं. गुनगुनी धूप सेकना इनमें सबसे…

कुटुर: परदेश रहने वाले बच्चों के लिये ईजा के प्यार की पोटली

4 years ago

बेटे के परदेश और बेटी के ससुराल जाने की पुरानी रवायत पहाड़ों में रही है. बेटों को बड़े शहर भेजना…

जिंदे को लात, मरे को भात: एक उत्तराखंडी लोककथा

4 years ago

एक गांव में एक बहुत बूढ़ा अपने छोटे लड़के, बहू और अपनी औरत के साथ रहता था. उसके दो लड़के…