Featured

अल्मोड़ा के दो पेड़ों का खूबसूरत मोहब्बतनामा

यह एक ऐसी प्रेम कहानी है जो आपने पहले शायद ही कहीं पढ़ी या सुनी हो. यह कहानी पिछले तकरीबन 100 सालों से अल्मोड़ा की माल रोड में चल रही है और हमें उम्मीद है की आने वाले कई सालों तक ऐसे ही जारी रहेगी.

यह प्रेम कहानी इंसानों की न होकर दो पेड़ों के बीच की कहानी है.

हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा शहर के मुख्य आकर्षण बोगनविलिया और देवदार के पेड़ों की जो नगर की माल रोड में बड़े पोस्ट आफिस के पास स्थित हैं और अपने आकर्षण से किसी को भी आकर्षित कर लेते हैं. अगर आप के नजर इन पर पड़ गई तो आप के कदम खुद ब खुद रुक जाते हैं और आप इनकी खूबसूरती के मुरीद हो जाते हैं.

इनके एक साथ होने का नज़ारा इतना शानदार होता है की आप घंटों इन्हें निहार सकते हैं. दरअसल बात कुछ यूं है कि अल्मोड़ा की माल रोड में पंत पार्क में लगे ये दो पेड़ जिनमें एक पेड़ तो बोगनविलिया का है और दूसरा देवदार का. ये दोनों पेड़ एक दूसरे काफी नज़दीक लगाए गए हैं और बोगनविलिया के पेड़ ने देवदार को एक तरह से अपने आगोश में ले लिया है और जब जब इसमें फूल आते हैं पूरा का पूरा देवदार का पेड़ बोगनविलिया के बैगनी फूलों से खिल उठता है और एक ऐसा दृश्य प्रस्तुत करता है जो माल रोड से गुजरने वाले हर व्यक्ति पर अपनी अमिट छाप छोड़ देता है.

आज जब सिंगापुर में सुपर ट्री का चलन जोरों पर है जो अपनी ऊंचाई से लोगों और वन्य जीवों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और पर्यावरण संतुलन के साथ ही पर्यटन के लिए भी योगदान करते हैं अल्मोड़ा का ये सुपर ट्री एक मिसाल है जिसका उपयोग अभी तक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नहीं हो पाया है. अल्मोड़ा के इस सुपर ट्री के आसपास एक बढ़िया सेल्फी प्वाइंट विकसित किया जा सकता है जहां पर लोग इस पेड़ के साथ अपनी फोटो खींच सकें और कुछ देर इत्मीनान से इन पेड़ों की छाया में सुकून पा सकें.

आलेख और सभी फोटोग्राफ जयमित्र सिंह बिष्ट के हैं.

एक ऐसा गणितज्ञ जिसने साहित्य का नोबेल पुरुस्कार जीता
रवीन्द्रनाथ टैगोर उत्तराखण्ड के रामगढ़ में बनाना चाहते थे शांतिनिकेतन
अल्मोड़ा में रामचंद्र गुहा का भाषण : दस कारण जो गांधी को अब भी प्रासंगिक बनाते हैं

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री

 

जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • बेहतरीन!!!! मुझे लगता है आने वाले समय मे आपके सारे प्रयास खास तौर से कुमाऊं के लिये बहुआयामी सफलता और प्रसिद्धि लेकर आएंगे।मेरी जिंदगी के 25 बहुमूल्य वर्ष इन जगहों पर गुजरे हैं इसलिए में दिल और दिमाफ दोनों से आपके इन प्रयासों केलिए शुभकामनाएं।

  • अफसोस कि 2020 की बरसात इन दोनो पेडों पर भी करोना बनकर टूट पडी और इनके आलिंगन को निगल गयी ...

Recent Posts

वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण

रामगंगा घाटी की स्थानीय बोली में आभूषणों को ‘हतकान’ कहा जाता है, इससे ज्ञात होता…

7 days ago

ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया

छोटी मुखानी में हुई ऐपण प्रतियोगिता पर्वतीय लोक संस्कृति ऐपण कला को संरक्षित व उसको…

1 week ago

हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच

मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…

1 month ago

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 months ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 months ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

2 months ago