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विनोद कापड़ी को जानिये

उत्तराखंड के बेरीनाग इलाके से ताल्लुक रखने वाले विनोद कापड़ी की नई फिल्म ‘पीहू’ इसी महीने रिलीज़ होने वाली है. भारत में रिलीज होने से पहले यह फिल्म वैंकूवर इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, पाम स्प्रिंग्स इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (कैलिफोर्निया), फज्र इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (तेहरान) और इन्डियन फिल्म फेस्टिवल (स्टुटगार्ड) में आलोचकों की प्रशंसा पा चुकी है. इसके अलावा ‘पीहू’ 2017 के इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ इण्डिया की ओपनिंग फिल्म भी रही.

15 अगस्त 1972 को जन्मे विनोद ने फिल्मों में आने से पहले बीस से अधिक साल पत्रकारिता में बिताये हैं और अमर उजाला से लेकर ज़ी न्यूज़, स्टार न्यूज़ जैसे मीडिया घरानों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है. विनोद जब नवीं क्लास में पढ़ते थे उन्होंने कहानियां शुरू कर दिया था. उनकी पहली कहानी 1987 में अमर उजाला में छपी थी जिसके लिए उनको 15 रुपए मिले थे. जल्द ही उनकी कहानियाँ और रपटें हिन्दी के अन्य अख़बारों में छपने लगीं. बरेली में कॉलेज की पढ़ाई करते हुए विनोद ने देश-विदेश के आर्थिक मुद्दों को लेकर बाकायदा एक मासिक पत्रिका ‘इन्डियन इकॉनो पत्रिका’ का प्रकाशन-सम्पादन शुरू कर दिया था.

पत्रकारिता का करियर समाप्त करने के बाद उन्होंने फिल्म निर्देशन में हाथ आजमाया और उनकी पहली फीचर फिल्म ‘मिस टनकपुर हाज़िर हो’ जनवरी 2015 में रिलीज़ हुई. इसके पहले उन्हें उनकी डॉक्यूमेंट्री ‘कांट टेक दिस शिट एनीमोर’ को 2014 में नेशनल अवार्ड हासिल हुआ. यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित थी जिसमें उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में मई 2014 में छः अलग-अलग घटनाओं में ससुराल में शौचालय न होने के कारण छः महिलाओं ने अपने पतियों को छोड़ दिया था. भारतीय समाज की इस बड़ी समस्या पर बनने वाली यह संभवतः पहली फिल्म थी. अपने नवीन कथ्य और विचारोत्तेजक ट्रीटमेंट के कारण इस फिल्म को स्टुटगार्ड में हुए बारहवें इन्डियन फिल्म फेस्टिवल में भी जगह मिली. ‘मिस टनकपुर हाज़िर हो’ को भी आलोचकों और अभिनेता-निर्देशकों की सराहना प्राप्त हुई. अमिताभ बच्चन से लेकर राजकुमार हिरानी ने इस फिल्म की चर्चा की.

विनोद अपनी फिल्मों के लिए कहानी खुद लिखते हैं और इसके लिए अपने पत्रकार-जीवन के अनुभव का भरपूर इस्तेमाल करते हैं. अभी तक बनी उनकी दोनों फिल्में समाचारों की सुर्ख़ियों से ही प्रेरित रही हैं. इसमें ‘पीहू’ भी अपवाद नहीं है. यह फिल्म एक राष्ट्रीय समाचारपत्र में 2014 में छपी हैडलाइन को आधार बनाकर लिखी गयी है जिसमें चार साल की बच्ची को उसके माँ-बाप द्वारा घर पर अकेले छोड़ दिए जाने की खबर थी. विनोद ने इस एक सूत्र को लेकर जो कथानक तैयार किया है उसमें पूरी फिल्म में केवल एक ही किरदार है. सोशल थ्रिलर के रूप में ढली इस फिल्म का दर्शकों को लम्बे समय से इंतज़ार है.

विनोद कापड़ी हमारे लिए नियमित लिखेंगे और उनका एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू आप काफल ट्री में 23 सितम्बर को पढ़ सकते हैं.

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